Samudrayaan Mission: भारत के समुद्र विज्ञान मिशन को 2024 बजट में 600 करोड़ रुपये की मंजूरी, Samudrayaan और Mission Mausam की नई शुरुआत

Samudrayaan Mission: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में भारत के समुद्र विज्ञान मिशन के लिए 600 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। यह मिशन समुद्र की गहराई में वैज्ञानिकों को भेजने के लिए सबमर्सिबल (जलमग्न यांत्रिक यान) का उपयोग करेगा, ताकि समुद्र के रहस्यों का अध्ययन किया जा सके। इसके तहत समुद्र की गहराइयों में रिसर्च की जाएगी, जिससे समुंदर के नीचे छिपी प्राकृतिक संपत्तियों और संसाधनों की खोज की जा सकेगी।
इस मिशन के तहत समुद्र के नीचे 6000 मीटर गहराई तक शोध किया जाएगा, जो एक नई तकनीकी मील का पत्थर साबित होगा। इस शोध में समुद्र के तल का मानचित्रण, 6000 मीटर गहराई तक जाने में सक्षम मानवयुक्त सबमर्सिबल की तकनीकी विकास, गहरे समुद्र में जैव संसाधनों का खनन और थर्मल ऊर्जा द्वारा संचालित संयंत्रों के लिए इंजीनियरिंग डिजाइनों का विकास शामिल है।
मंत्रालय को मिली अधिक वित्तीय मदद
इस साल के बजट में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को 3649.81 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले बजट के मुकाबले अधिक हैं। पिछले वर्ष मंत्रालय को 3064.80 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, इस बार आवंटन में वृद्धि से मंत्रालय को अपने शोध और विज्ञान प्रौद्योगिकी में तेजी लाने का मौका मिलेगा। समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में हो रही इस अहम पहल को धरती विज्ञान मंत्रालय के तहत रखा गया है।
समुद्र की गहराई में रिसर्च और नई तकनीकी का विकास
भारत ने समुद्र के भीतर जैव संसाधनों की खोज, गहरे समुद्र खनन, मानवयुक्त सबमर्सिबल और अंडरवाटर रोबोटिक्स के लिए नई तकनीकें विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, समुद्र से ऊर्जा और ताजे पानी की प्राप्ति, समुद्र जैविकता के लिए उन्नत समुद्री स्टेशनों का निर्माण और औद्योगिक अनुप्रयोगों में समुद्र जैविकी और इंजीनियरिंग के लिए मानव संसाधन क्षमता का विकास भी इस मिशन का हिस्सा है।
भारत भेजेगा मानवयुक्त सबमर्सिबल
भारत के राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) ने चेन्नई में मानवयुक्त सबमर्सिबल विकसित किया है, जो इस साल समुद्र की 500 मीटर गहराई तक भेजा जाएगा। इसके बाद अगले साल यह सबमर्सिबल 6000 मीटर गहराई तक समुद्र की तलहटी में भेजा जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र के संसाधनों की खोज करना और उनके सतत उपयोग के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी विकसित करना है। यह मिशन समुद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू किया ‘मिशन मौसम’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की 150वीं स्थापना दिवस के अवसर पर 14 जनवरी को ‘मिशन मौसम’ लॉन्च किया था। यह मिशन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग का उपयोग करके मौसम पूर्वानुमान क्षमता को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें 150 प्रतिशत से अधिक रडारों की संख्या बढ़ाने, नए उपग्रहों और सुपर कंप्यूटरों को शामिल करने और अन्य नवाचारों का उपयोग करने का प्रस्ताव है।
समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान के लिए भारत की महत्वाकांक्षी योजनाएं
समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में भारत का यह कदम देश की समुद्र संबंधी क्षमताओं को नया आयाम देने वाला है। ‘समुद्रयान’ और ‘मिशन मौसम’ दोनों ही मिशन वैश्विक स्तर पर भारत के वैज्ञानिक शोध और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। ये दोनों मिशन न केवल भारतीय समुद्र विज्ञान को मजबूत करेंगे, बल्कि मौसम विज्ञान में भी भारत को उच्चतम स्तर पर पहुंचाने में मदद करेंगे। इसके अलावा, इन मिशनों से देश को समुद्र से ऊर्जा और जल के रूप में नए संसाधन प्राप्त हो सकते हैं, जो भविष्य में भारत के विकास के लिए अहम साबित हो सकते हैं।
भारत का ‘समुद्रयान मिशन’ और ‘मिशन मौसम’ न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इन मिशनों से भारत को समुद्र के रहस्यों को जानने और जलवायु परिवर्तन, समुद्री जैविकी, और मौसम विज्ञान के क्षेत्र में नये शोध के अवसर मिलेंगे। इन योजनाओं के लागू होने से न केवल भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश के आर्थिक और पर्यावरणीय विकास में भी तेजी आएगी। इन मिशनों से जुड़ी वैज्ञानिक खोजों से आने वाले समय में भारत एक वैश्विक महासागर विज्ञान और मौसम विज्ञान केंद्र के रूप में उभर सकता है।