Myanmar संकट पर S Jaishankar और यूएन विशेष दूत Julie Bishop की बातचीत, सीमा सुरक्षा और शरणार्थी मुद्दों पर चर्चा

भारत के विदेश मंत्री S Jaishankar और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के म्यांमार पर विशेष दूत Julie Bishop ने मंगलवार को म्यांमार में तेजी से बदलती स्थिति पर चर्चा की। जूली बिशप इन दिनों भारत दौरे पर हैं। पिछले साल अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जूली बिशप को म्यांमार के लिए विशेष दूत नियुक्त किया था।
सीमा स्थिरता, शरणार्थी संकट और अंतरराष्ट्रीय अपराध पर चर्चा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि उन्होंने मंगलवार शाम दिल्ली में यूएन विशेष दूत जूली बिशप से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने म्यांमार में सीमा स्थिरता, शरणार्थी संकट, म्यांमार से होने वाले अंतरराष्ट्रीय अपराध और आर्थिक सहायता जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
जयशंकर ने कहा कि बातचीत के दौरान म्यांमार में चल रही राजनीतिक स्थिति को लेकर भी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। बैठक में म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली और मानवीय सहायता के उपायों पर चर्चा की गई।
2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में अस्थिरता
गौरतलब है कि म्यांमार में 1 फरवरी 2021 को सैन्य तख्तापलट के बाद लोकतंत्र बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद से ही म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है।
सीमा क्षेत्रों में हिंसा और अस्थिरता को देखते हुए भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने इस वर्ष जनवरी में भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने की योजना की घोषणा की थी।
भारत-म्यांमार के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की पहल
फरवरी 2025 में भारत और म्यांमार ने औषधीय उत्पादों, दालों और पेट्रोलियम उत्पादों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा की थी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में शुरू किए गए रुपये-क्यात व्यापार निपटान तंत्र का अधिक उपयोग करने की संभावनाओं पर बात हुई थी।
इस बैठक में भारत की ओर से केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और म्यांमार के वाणिज्य मंत्रालय के उप मंत्री यू मिन मिन ने हिस्सा लिया था। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर बल दिया था।
सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति
बैठक में भारत और म्यांमार के नेताओं ने सड़क मार्ग के जरिए सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने की आवश्यकता को स्वीकार किया और इस दिशा में ठोस कदम उठाने पर सहमति जताई।
भारत और म्यांमार के बीच सीमा व्यापार को लेकर लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है। सीमा पर हिंसा और अस्थिरता के कारण व्यापार गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
भारत-म्यांमार के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का असर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों पर पड़ रहा है। मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों में शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
भारत ने इस संकट को देखते हुए म्यांमार के साथ अपनी कूटनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
यूएन विशेष दूत की भूमिका और भारत का दृष्टिकोण
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जूली बिशप को म्यांमार में शांति स्थापना के प्रयासों के लिए विशेष दूत नियुक्त किया था। उनकी भूमिका म्यांमार में लोकतंत्र बहाली, मानवीय सहायता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित करना है।
भारत भी म्यांमार में शांति और स्थिरता की बहाली का पक्षधर है और इस दिशा में वैश्विक मंच पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
सीमा सुरक्षा को लेकर भारत की कड़ी कार्रवाई
भारत सरकार ने म्यांमार से लगती सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सीमा पार से होने वाली मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की आवाजाही को रोकने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है।
इसके अलावा, म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों की पहचान और उनके पुनर्वास को लेकर भी केंद्र सरकार सक्रिय है।
आर्थिक सहायता और मानवीय प्रयासों की आवश्यकता
भारत म्यांमार को मानवीय सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देशों के बीच कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारत पहले भी म्यांमार को खाद्य सहायता और कोविड-19 वैक्सीन प्रदान कर चुका है।
भारत और म्यांमार के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक संबंध
भारत और म्यांमार के बीच रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में म्यांमार की अहम भूमिका है।
म्यांमार, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए एक प्रमुख व्यापार मार्ग है। सीमा व्यापार के जरिए दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और यूएन विशेष दूत जूली बिशप के बीच हुई बैठक भारत और म्यांमार के संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। म्यांमार में स्थिरता, सीमा सुरक्षा और शरणार्थी संकट को हल करने के लिए भारत कूटनीतिक और मानवीय प्रयासों को जारी रखेगा।