Manipur violence: मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दिया इस्तीफा, संघर्ष के बीच शांति की ओर कदम

Manipur violence: मणिपुर में बीते 20 महीनों से हिंसा और हत्या की घटनाओं के कारण राज्य में स्थिति दिन-ब-दिन और बिगड़ती जा रही थी। यह हिंसा मुख्य रूप से मणिपुर के मेइती और कूकी समुदायों के बीच संघर्ष की वजह से थी। इस संघर्ष ने न केवल राज्य के अंदर, बल्कि पूरे देश में हलचल मचा दी। इस हिंसा के परिणामस्वरूप मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को आखिरकार 9 फरवरी 2025 को अपना इस्तीफा देना पड़ा। इस इस्तीफे के बाद राज्य में राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक नया मोड़ आया है।
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत उस समय हुई जब मेइती समुदाय ने अपने आप को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में शामिल किए जाने की मांग की। जबकि कूकी समुदाय इस मांग के खिलाफ था। यह विवाद तब और बढ़ा जब 28 अप्रैल 2023 को मणिपुर के चुराचंदपुर जिले में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के दौरे से पहले ही कूकी समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इन प्रदर्शनों के दौरान चर्चों को कथित रूप से तोड़ा गया और इसके बाद राज्य में हिंसा का सिलसिला शुरू हो गया।
हिंसा की घटनाएं और राज्य का समयबद्ध संघर्ष
हिंसा का सबसे बड़ा रूप मई 2023 में देखा गया, जब मेइती और कूकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में कम से कम 221 लोगों की जान चली गई और 60,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए। इस दौरान कई घटनाओं में आगजनी, लूटपाट, हत्या और सामूहिक बलात्कार के मामले सामने आए। इस संघर्ष ने मणिपुर की सांप्रदायिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया।
इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि म्यांमार से कूकी समुदाय के लोगों के आगमन ने मणिपुर के मेइती लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी थी। इस समय तक राज्य की स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि जुलाई 2023 में दो कूकी महिलाओं के नग्न होकर प्रदर्शन में घुमाए जाने की वीडियो ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। इसके परिणामस्वरूप मणिपुर में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए।
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का इस्तीफा
बीते कई महीनों से मणिपुर में शांति की स्थिति बहाल करने के प्रयासों में जुटे मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर लगातार इस्तीफे का दबाव था। राजनीतिक पार्टियों और जनता दोनों ही उनकी सरकार की नीतियों को लेकर असंतुष्ट थे। 9 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अचानक गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उनके सामने अपना इस्तीफा सौंप दिया।
इस इस्तीफे के बाद मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया बदलाव देखा जा रहा है। हालांकि, इस्तीफा देने के बाद भी मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने शांति बहाल करने के प्रयासों का दावा किया, लेकिन हिंसा के बढ़ते सिलसिले और राज्य के भीतर की जटिल परिस्थितियों को देखते हुए उनकी इस्तीफे की कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं आई।
संघर्ष की जटिलता और समयबद्ध घटनाक्रम
मणिपुर के संघर्ष का एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है, जो पिछले सालों में और भी गहरा हो गया। सरकार ने 2022 में चुराचंदपुर-खोपम रिजर्व फॉरेस्ट से संबंधित आदेशों को निरस्त किया और 2023 के फरवरी में राज्य सरकार ने चुराचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में जंगलों में रहने वालों को अतिक्रमणकारी घोषित कर उनकी बेदखली का अभियान शुरू किया। इससे पहले मणिपुर सरकार ने 3 मार्च 2023 को कूकी उग्रवादी समूहों के साथ ऑपरेशन निलंबन समझौते से बाहर होने का फैसला किया था।
इस दौरान राज्य की न्यायपालिका ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी, और मणिपुर उच्च न्यायालय ने मेइती समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (ST) की श्रेणी में शामिल करने की सिफारिश की। इसके बाद हुए विभिन्न संघर्षों और प्रदर्शनों ने राज्य में हिंसा का और भी विस्तार किया। इसके परिणामस्वरूप मणिपुर के विभिन्न हिस्सों में शांति बहाल करने के लिए भारतीय सेना और पुलिस को तैनात किया गया था।
राज्य की स्थिति और आगे की राह
मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इस राज्य के भीतर के संघर्ष को सुलझाना आसान नहीं होगा। इस हिंसा के कारण कई परिवारों की जिंदगियाँ तबाह हो गई हैं और राज्य की सांप्रदायिक स्थिति बहुत बिगड़ चुकी है। सरकार के स्तर पर इस संकट को हल करने के लिए अब भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद अब यह देखना होगा कि क्या राज्य में शांति की स्थिति बहाल हो पाती है या यह संघर्ष और भी गहरा जाएगा।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में शांति के प्रयासों में क्या सफलता मिलती है, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा। इस बीच, मणिपुर में हिंसा और संघर्ष के बीच राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।
मणिपुर में जातीय संघर्ष और हिंसा ने राज्य को न केवल अस्थिर किया है, बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा इस संघर्ष के प्रति एक बड़ा कदम है, लेकिन राज्य में वास्तविक शांति तभी संभव है जब दोनों समुदायों के बीच संवाद और समझ का मार्ग प्रशस्त हो।