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जंगल से बंदूक हटी, अब हाथों में आई पेंसिल! Amit Shah बोले- बस्तर की तस्वीर बदलने जा रही है सरकार

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री Amit Shah ने नया रायपुर में सुरक्षा बलों को संबोधित करते हुए उनके साहस और समर्पण को नमन किया। उन्होंने सेंट्रल सिक्योरिटी फोर्स, कोबरा टीम, छत्तीसगढ़ पुलिस और डीआरजी के योगदान को विशेष रूप से सराहा और कहा कि इन जवानों की वीरता ने नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में भारत को मजबूत बनाया है। नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता में इन बलों का अतुलनीय योगदान रहा है।

2026 तक नक्सलवाद का खात्मा: अमित शाह का ऐलान

गृह मंत्री अमित शाह ने आत्मविश्वास के साथ घोषणा की कि भारत 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस लगन और समर्पण से सुरक्षा बलों ने माओवादी ठिकानों को ध्वस्त किया है, वह विश्व की सभी सुरक्षा एजेंसियों के लिए चौंकाने वाला है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब जवान कुछ ठान लेते हैं, तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं।

 नक्सलवाद ने आदिवासी अंचलों को गुलामी में झोंका

अमित शाह ने बताया कि पिछले 35 वर्षों में नक्सलवाद के कारण करीब 40 हजार लोगों की जान गई है या वे जीवनभर के लिए अपंग हो गए हैं। नक्सलियों की हिंसा ने आदिवासी क्षेत्रों को बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योग से वंचित रखा। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों तक नक्सलवाद ने इन क्षेत्रों को पिछड़ेपन और भय के माहौल में जीने पर मजबूर किया।

 अब आदिवासी इलाकों में कलम थाम रहे हैं बच्चे, बंदूक नहीं

गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की मुख्यधारा जोड़ रही है। भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल और आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं अब वहां तक पहुंच रही हैं। उन्होंने कहा कि जब कोई बच्चा बंदूक की बजाय हाथ में पेंसिल पकड़ता है और ‘अ’, ‘आ’ लिखता है, तो न केवल उस क्षेत्र बल्कि पूरे देश का भविष्य उज्ज्वल होता है।

 नक्सल सहानुभूति पर हमला: किताब ने खोली सच्चाई की परतें

अमित शाह ने लिओर ओयना द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन भी किया, जिसमें बस्तर के निर्दोष आदिवासियों पर हुए नक्सली अत्याचारों का जिक्र है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक उन लोगों की आंखें खोलने का काम करेगी जो मानवाधिकार के नाम पर नक्सलियों के समर्थन में खड़े होते हैं। यह पुस्तक देश की युवा पीढ़ी को भी नक्सलवाद की असली सच्चाई से रूबरू कराएगी।

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