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Rahul Gandhi के प्रतिनिधि बनाए जाने की खबर निकली फर्जी, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ फेक लेटर

कांग्रेस सांसद Rahul Gandhi के प्रतिनिधि बनाए जाने की खबर के बाद सोशल मीडिया पर सनसनी मच गई थी। वायरल हुए एक पत्र में दावा किया गया था कि राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस प्रभारी और राष्ट्रीय सचिव सुशील पासी को रायबरेली का अपना सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया है। इस खबर के फैलते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। लेकिन बाद में राहुल गांधी के कार्यालय ने इस खबर को फर्जी करार दिया और इसे अफवाह बताया।

फर्जी निकला वायरल पत्र

सोशल मीडिया पर जो पत्र वायरल हुआ, उसमें यह दावा किया गया था कि राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार प्रभारी सुशील पासी को रायबरेली में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है। पत्र में कांग्रेस के लेटरहेड और राहुल गांधी के हस्ताक्षर भी थे, जिससे लोगों को यह खबर सच लगने लगी।

हालांकि, जब इस पत्र की सत्यता की जांच की गई तो राहुल गांधी के कार्यालय ने इसे फर्जी करार दिया। राहुल गांधी के ऑफिस की ओर से बयान जारी कर कहा गया, “यह खबर पूरी तरह से फर्जी है। ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है। सुशील पासी को राहुल गांधी का सांसद प्रतिनिधि नहीं बनाया गया है।”

सुशील पासी का राजनीतिक सफर

सुशील कुमार पासी वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार प्रदेश प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें पिछले साल बिहार का प्रभारी बनाया गया था। पासी, कांग्रेस में पिछड़ा वर्ग को मजबूत करने और सामाजिक न्याय की आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं।

हाल के दिनों में सुशील पासी रायबरेली में काफी सक्रिय नजर आ रहे थे। उनकी लगातार क्षेत्र में सक्रियता को देखते हुए यह अफवाह तेजी से फैली कि राहुल गांधी ने उन्हें अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया है।

बछरावां सीट से लड़ चुके हैं चुनाव

सुशील पासी का राजनीतिक सफर संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रायबरेली की बछरावां सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे।

यह पहला मौका नहीं था जब सुशील पासी बछरावां सीट से चुनाव लड़े थे। इससे पहले भी वह यहां से चार बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन वह एक बार भी जीत हासिल नहीं कर सके। बछरावां की जनता ने उन्हें विधायक बनाने का मौका नहीं दिया।

राहुल गांधी के कार्यालय का खंडन

वायरल फर्जी पत्र के सामने आने के बाद राहुल गांधी के कार्यालय ने स्पष्ट किया कि सुशील पासी को रायबरेली में उनका प्रतिनिधि नहीं बनाया गया है। कार्यालय ने इसे एक साजिश करार दिया और कहा कि गलत सूचना फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह खबर पूरी तरह से गलत है। राहुल गांधी ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। सुशील पासी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और बिहार के प्रभारी हैं, और उनकी जिम्मेदारियां वहीं तक सीमित हैं।”

सुशील पासी ने भी किया फर्जी खबर का खंडन

सुशील पासी ने भी इस खबर का खंडन करते हुए कहा, “मैं कांग्रेस पार्टी का एक जिम्मेदार कार्यकर्ता हूं और वर्तमान में बिहार कांग्रेस का प्रभारी हूं। मुझसे जुड़ी यह खबर पूरी तरह से फर्जी है। किसी ने गलत मंशा से यह खबर फैलाई है।”

उन्होंने कहा कि वह पार्टी संगठन को मजबूत करने और जनता की सेवा में समर्पित हैं। सुशील पासी ने सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे फर्जी पत्र को लेकर भी नाराजगी जताई और कानूनी कार्रवाई की बात कही।

फेक न्यूज का बढ़ता प्रभाव

यह मामला एक बार फिर इस बात को उजागर करता है कि किस तरह फेक न्यूज और अफवाहें तेजी से फैल रही हैं। राजनीतिक हस्तियों के नाम से फर्जी पत्र जारी कर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली खबरों की पुष्टि किए बिना उन पर भरोसा करना जनता के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने और किसी भी खबर की सत्यता की जांच करने की जरूरत है।

कांग्रेस की स्थिति और सुशील पासी का भविष्य

हालांकि, इस फर्जी खबर के बाद सुशील पासी का नाम चर्चा में आ गया है। बिहार कांग्रेस प्रभारी के रूप में उनकी सक्रियता और रायबरेली में उनकी बढ़ती उपस्थिति को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि सुशील पासी का रायबरेली में सक्रिय होना संयोग नहीं है। कांग्रेस इस सीट पर अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश में है, और पासी की भूमिका अहम हो सकती है। हालांकि, प्रतिनिधि बनाए जाने की खबर फर्जी थी, लेकिन इससे पासी को काफी सुर्खियां मिल गईं।

सुशील पासी को राहुल गांधी का सांसद प्रतिनिधि बनाए जाने की खबर पूरी तरह फर्जी थी। इस फर्जी पत्र के जरिए राजनीतिक माहौल को भड़काने की कोशिश की गई। कांग्रेस पार्टी और खुद सुशील पासी ने इस खबर का खंडन किया है।

फेक न्यूज की इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली खबरों की सत्यता जांचना बेहद जरूरी है। जनता को सतर्क रहकर किसी भी खबर पर भरोसा करने से पहले उसकी पुष्टि करनी चाहिए।

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