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ISRO ने हासिल की बड़ी कामयाबी, भारत बना स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करने वाला छठा देश

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने सोमवार को बताया कि भारत उन छह देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक (Cryogenic Technology) को विकसित किया है।
इस तकनीक को विकसित करने वाले अन्य पांच देश हैं – अमेरिका, फ्रांस, रूस, चीन और जापान।

गगनयान मिशन के लिए CE20 इंजन को मिली ह्यूमन रेटिंग

डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि ISRO के CE20 इंजन को गगनयान मिशन के लिए ह्यूमन रेटिंग प्राप्त हो गई है।
ह्यूमन रेटिंग का मतलब है कि यह इंजन अब मानव को अंतरिक्ष में सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए सक्षम है।
यह घोषणा उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास में एक शोध केंद्र के उद्घाटन के दौरान की।

क्या होती है ह्यूमन रेटिंग?

ह्यूमन रेटिंग का मतलब होता है कि कोई भी अंतरिक्ष यान, रॉकेट या इंजन इंसानों को अंतरिक्ष में सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए उपयुक्त है।
इस प्रक्रिया में कई तरह की सुरक्षा मानकों की जांच की जाती है, ताकि अंतरिक्ष यात्रा के दौरान कोई जोखिम न हो।
गगनयान मिशन के लिए ISRO का CE20 इंजन अब ह्यूमन रेटेड हो गया है, जिसका मतलब है कि यह इंजन अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।

ISRO ने हासिल की बड़ी कामयाबी, भारत बना स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करने वाला छठा देश

भारत ने बनाई तीन क्रायोजेनिक इंजन, तीसरा इंजन ह्यूमन रेटेड

ISRO चेयरमैन डॉ. नारायणन ने बताया कि भारत ने अब तक तीन क्रायोजेनिक इंजन बनाए हैं।
उन्होंने कहा,
“हमें यह तकनीक किसी देश से नहीं मिली थी। हमने इसे अपने बलबूते पर विकसित किया है। अब हमारे पास तीन क्रायोजेनिक इंजन हैं, जिनमें से तीसरा इंजन ह्यूमन रेटेड है।”

क्रायोजेनिक तकनीक से बना इतिहास

ISRO ने क्रायोजेनिक तकनीक में तीन विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं।
डॉ. नारायणन ने बताया कि “हमने तीसरे प्रयास में ही सफलता प्राप्त कर ली।”
उन्होंने यह भी बताया कि जहां अन्य देशों को इस तकनीक के इंजन को परीक्षण से लेकर उड़ान तक ले जाने में 42 महीने से लेकर 18 साल तक का समय लगा, वहीं ISRO ने यह काम 28 महीने में पूरा कर दिखाया।

34 दिन में किया परीक्षण, अन्य देशों को लगते हैं 5-6 महीने

ISRO ने इस तकनीक के परीक्षण में एक और रिकॉर्ड बनाया।
डॉ. नारायणन ने कहा,
“हमने इस क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण मात्र 34 दिन में पूरा कर लिया, जबकि अन्य देशों को इसके लिए 5-6 महीने का समय लगता है।”
यह उपलब्धि ISRO की क्षमता और तकनीकी कौशल को दर्शाती है।

क्रायोजेनिक तकनीक क्यों है खास?

क्रायोजेनिक तकनीक से उच्च क्षमता वाले रॉकेट इंजन बनाए जाते हैं, जो भारी वजन वाले उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जा सकते हैं।
इस तकनीक में ईंधन को अत्यधिक ठंडे तापमान (Cryogenic Temperature) पर संग्रहित किया जाता है।
ISRO के क्रायोजेनिक इंजन में ईंधन के रूप में लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।
यह तकनीक रॉकेट को ज्यादा ऊंचाई तक ले जाने और भारी वजन उठाने में सक्षम बनाती है।

गगनयान मिशन के लिए बड़ी उपलब्धि

गगनयान मिशन ISRO का पहला मानव अंतरिक्ष अभियान (Human Space Mission) है।
इस मिशन के तहत ISRO तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजेगा।
मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे और सुरक्षित लौटेंगे।
गगनयान मिशन में ISRO की इस क्रायोजेनिक तकनीक की अहम भूमिका होगी।

अन्य देशों से तेज ISRO का प्रदर्शन

ISRO ने क्रायोजेनिक तकनीक में अन्य देशों की तुलना में बहुत कम समय में सफलता प्राप्त की है।
जहां अमेरिका, रूस और चीन को इस तकनीक में विशेषज्ञता हासिल करने में कई साल लगे, वहीं ISRO ने इसे महज कुछ वर्षों में विकसित कर लिया।
इस उपलब्धि ने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है।

ISRO की नई उपलब्धि से भारत को क्या फायदा होगा?

ISRO की इस सफलता के बाद भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में कई लाभ मिलेंगे:

  1. स्वदेशी क्षमता: अब भारत पूरी तरह से स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक से उच्च क्षमता वाले रॉकेट इंजन बना सकेगा।
  2. अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता: भारत अब मानव मिशन के लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा।
  3. वैश्विक मान्यता: भारत का इस तकनीक में शामिल होना इसे वैश्विक अंतरिक्ष शक्तियों के बराबर खड़ा करता है।
  4. नए मिशन की तैयारी: इस तकनीक से भविष्य में भारत चंद्रयान-4, मंगल मिशन-2 जैसे अभियानों को और अधिक कुशलता से लॉन्च कर सकेगा।

IIT मद्रास में रिसर्च सेंटर का उद्घाटन

ISRO चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने इस मौके पर IIT मद्रास में एक नए रिसर्च सेंटर का उद्घाटन भी किया।
इस सेंटर में स्पेस टेक्नोलॉजी और क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग पर रिसर्च की जाएगी।
यह सेंटर भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में और अधिक आत्मनिर्भर बनाएगा।

ISRO ने क्रायोजेनिक तकनीक में बड़ी उपलब्धि हासिल की है और भारत को उन छह देशों की सूची में शामिल कर दिया है, जिन्होंने इस तकनीक को विकसित किया है।
ISRO का ह्यूमन रेटेड CE20 इंजन गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस तकनीक में तेजी से सफलता हासिल कर भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
ISRO की यह कामयाबी भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को नई दिशा देगी और देश को वैश्विक स्तर पर और भी मजबूत बनाएगी।

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