Shashi Tharoor ने PM Modi की विदेश नीति से सहमति जताई, पाक से वार्ता को लेकर उठाए सवाल

कांग्रेस नेता Shashi Tharoor ने PM Modi की विदेश नीति से सहमति जताई है। उन्होंने पाकिस्तान के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का समर्थन किया और साथ ही 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2016 के पठानकोट हमले को “धोखा” करार दिया। थरूर ने यह भी कहा कि इस समय पाकिस्तान से निरंतर संवाद संभव नहीं है, क्योंकि किसी भी तरह की बातचीत बिना किसी घटना के हुए जैसे नहीं हो सकती।
पाकिस्तान से वार्ता असंभव: शशि थरूर
शशि थरूर ने सोमवार को कहा कि इस समय पाकिस्तान से निरंतर वार्ता संभव नहीं है, क्योंकि कोई भी ऐसी बातचीत नहीं कर सकता जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। थरूर ने इस बात को भी स्वीकार किया कि लोग आपस में बेहतर संबंध बना सकते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान से हुई घटनाओं का समाधान नहीं होता, तब तक बिना किसी कार्रवाई के वार्ता संभव नहीं है।
“वास्तविकता ने मुझे धोखा दिया” – शशि थरूर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि ‘नहीं बात करना भी कोई नीति नहीं है’। जब उनसे भारत-पाकिस्तान संबंधों पर एक संवाद के दौरान सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वह अपने जीवन के अधिकांश समय में शांति के समर्थक रहे हैं, लेकिन अब वह महसूस करते हैं कि ‘वास्तविकता ने उन्हें धोखा दिया है’। थरूर ने कहा कि जब 26/11 मुंबई हमला हुआ, तब भारत पाकिस्तान से वार्ता की प्रक्रिया में था, लेकिन उस घटना के बाद किसी भी प्रकार की बातचीत को उसी तरह से जारी रखना संभव नहीं था।
“कुछ भी न हुआ हो, ऐसी बातचीत नहीं हो सकती”
शशि थरूर ने इस दौरान यह भी कहा कि वह विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ सहमत हैं कि पाकिस्तान से निरंतर वार्ता इस समय संभव नहीं है, क्योंकि आप कुछ भी नहीं कर सकते, सिवाय प्रतिक्रिया देने के। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले का उल्लेख करते हुए कहा, “जब मुंबई हमला हुआ था, हम वार्ता की प्रक्रिया में थे, लेकिन उस घटना के बाद बातचीत को उसी तरह से जारी नहीं रखा जा सकता।” थरूर ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास की कमी है, जो इस समय कोई भी वार्ता अव्यवहारिक बना देती है।
पाकिस्तान से वार्ता के मुद्दे पर शशि थरूर का दृष्टिकोण
शशि थरूर ने कहा कि वह शांति के पक्षधर रहे हैं और उन्होंने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे रिश्तों के लिए काम किया है, लेकिन यह भी जरूरी है कि भारत अपनी स्थिति स्पष्ट करे। उनका मानना है कि पाकिस्तान से वार्ता को लेकर कोई भी कदम उठाने से पहले, यह जरूरी है कि पाकिस्तान आतंकवाद को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और कोई भी कदम इस भावना के खिलाफ नहीं होना चाहिए।
अमेरिका से NRIs की वापसी पर शशि थरूर की चिंता
इसके साथ ही, शशि थरूर ने अमेरिका से भारतीयों की वापसी पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से एक भारतीय समूह को अमेरिका से वापस भेजा गया है, उससे भारत में बहुत अधिक चिंता, नाराजगी और आक्रोश पैदा हुआ है। थरूर के अनुसार, भारत को वाशिंगटन को इस मामले में एक संवेदनशील संदेश भेजने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि यह मामला एक संवेदनशीलता का है, और भारत को अमेरिका से इस मुद्दे पर संवाद करना चाहिए ताकि दोनों देशों के रिश्तों में कोई खटास न आए। भारत और अमेरिका के संबंध महत्वपूर्ण हैं, और ऐसे मामलों को हल करने के लिए बातचीत और समझदारी की जरूरत है। थरूर ने कहा कि यह समय है जब भारत को अपनी कूटनीति को मजबूत करना चाहिए और इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ ठोस बातचीत करनी चाहिए।
शशि थरूर का यह बयान भारतीय राजनीति और कूटनीति में एक महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है। उन्होंने पाकिस्तान से वार्ता को लेकर जो विचार रखे हैं, वह इस समय भारत-पाकिस्तान रिश्तों की जटिलता को उजागर करते हैं। वहीं, अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों पर उनके विचार यह भी दर्शाते हैं कि भारतीय कूटनीति में अब अधिक संवेदनशीलता की जरूरत है, ताकि द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत बने रहें।
थरूर का यह बयान यह साफ करता है कि कूटनीतिक संबंधों में शांति और संवाद की आवश्यकता है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को लेकर किसी भी प्रकार के समझौते में न जाए। थरूर ने दोनों मुद्दों पर स्पष्ट रूप से अपनी राय व्यक्त की है, जो आगे चलकर भारत की विदेश नीति पर प्रभाव डाल सकती है।