गल्ला मंडी गोलीकांड: पिता-पुत्र की हत्या, हनी की भागकर जान बचाने की दर्दनाक कहानी

ऊधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर गल्ला मंडी में रविवार की रात हुई दर्दनाक गोलीकांड ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। इस हमले में एक पिता और उसका बेटा अपनी जान गंवा बैठे, जबकि बड़ा बेटा सुरेंद्र सिंह संधू उर्फ हनी किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहा। हनी ने अपनी दर्दनाक कहानी सुनाते हुए बताया कि कैसे उसने अपनी आंखों के सामने अपने छोटे भाई मनप्रीत और पिता गुरमेज सिंह को गोली लगते देखा।
गोलीकांड के मंजर से दहला परिवार
सुरेंद्र सिंह संधू उर्फ हनी ने बताया कि घटना के समय वह और उनका परिवार गल्ला मंडी में एक दुकान की नीलामी में खरीदी गई दुकान पर मौजूद थे। वहां उन्होंने देखा कि जेसीबी से दुकान की दीवार तोड़ने की कोशिश की जा रही थी, जिससे उनकी दुकान पर अवैध कब्जे की योजना थी। जब गुरमेज सिंह और मनप्रीत ने इसका विरोध किया, तो हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। हनी ने बताया कि कैसे उन्होंने छोटे भाई मनप्रीत को सीने में गोली लगते देखा और पिता को तड़पते हुए देखा। जब उन पर भी गोली चलाई गई, तो उन्होंने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। हनी ने कहा कि अगर वह भागकर नहीं आते, तो वह भी आज जिंदा नहीं होते।
दुकान पर अवैध कब्जे का विरोध और उसकी सजा
गुरमेज सिंह ने अपनी दुकान को बैंक की नीलामी से खरीदी थी और वह उसे अपने बेटों के साथ चला रहे थे। इसके बावजूद कुछ आपराधिक प्रवृत्तियों के लोग उनकी दुकान पर कब्जा करना चाहते थे। गुरमेज सिंह और उनके परिवार ने इसका विरोध किया, और इसी विरोध के कारण उन पर हमला किया गया। सुरेंद्र सिंह के मुताबिक, आरोपियों ने पहले उन्हें धमकी दी थी कि अगर वे दुकान नहीं छोड़ेंगे तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। हालांकि, गुरमेज और उनके परिवार ने इस धमकी को नजरअंदाज किया, जो उनके लिए जानलेवा साबित हुआ।
हत्याकांड के बाद का संदेहास्पद घटनाक्रम
हत्याकांड के बाद पुलिस ने घटनास्थल से कई साक्ष्य जुटाए और सीसीटीवी फुटेज खंगाले। पुलिस की जांच में यह पाया गया कि दिनेश सलूजा, जो कि मुख्य आरोपी है, के पैर में गोली लगी थी। कुछ लोगों का मानना है कि यह गोली दिनेश ने जानबूझकर लगवाई ताकि वह खुद को बचा सके। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने इसे संदेहास्पद बताया और उसकी जांच की जा रही है।
हनी ने यह भी बताया कि हमलावरों ने पूरी तैयारी के साथ दुकान पर कब्जा करने के लिए असलहे और ट्रैक्टर-ट्रॉली भी लाई थी। हालांकि, गुरमेज और उनके परिवार ने साजिश का खुलकर विरोध किया, जिससे हमलावरों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया।
अवैध कब्जे के खिलाफ लड़ाई और पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने इस दोहरे हत्याकांड का मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। मामले में नामजद दो आरोपियों के अलावा 10-15 अज्ञात व्यक्तियों को भी मामले में शामिल किया गया है। पुलिस ने इन आरोपियों को पकड़ने के लिए चार टीमें बनाई हैं और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी होने की उम्मीद जताई जा रही है।
एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी होगी, और जो भी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
गल्ला मंडी गोलीकांड की यह घटना न सिर्फ एक परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि अवैध कब्जे और अपराधी गतिविधियों के खिलाफ लड़ाई कभी आसान नहीं होती। गुरमेज और मनप्रीत की हत्या के बाद यह भी साफ हो गया कि समाज में कुछ लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए। अब पुलिस की कोशिश है कि जल्द से जल्द आरोपियों को पकड़ा जाए और न्याय दिलाया जाए।