ट्रंप का यू-टर्न: ऑटो टैरिफ पर राहत, क्या अमेरिकी ऑटो बाजार में आएगी नई जान?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने नाटकीय फैसलों के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। एक बार फिर उन्होंने ऐसा ही कुछ किया है, जिसने वैश्विक ऑटो सेक्टर में हलचल मचा दी। पहले जहां ट्रंप प्रशासन ने विदेशी ऑटो पार्ट्स पर 25% तक टैरिफ लगाने की सख्त योजना बनाई थी, वहीं अब एक बड़ा यू-टर्न लेते हुए उन्होंने इस फैसले में राहत देने का एलान कर दिया है। यह बदलाव न सिर्फ अमेरिकी वाहन निर्माताओं के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि वैश्विक ऑटो उद्योग को भी कुछ राहत की सांस दी है।
पहले था टैरिफ का डर, अब राहत की उम्मीद
ट्रंप का शुरूआती प्रस्ताव ऑटो पार्ट्स पर भारी-भरकम 25% टैरिफ लगाने का था। यह कदम ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा था, जिसके तहत वे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहते थे। लेकिन जैसे ही यह खबर बाहर आई, ऑटो इंडस्ट्री में खलबली मच गई। टोयोटा, हुंडई, वोक्सवैगन, जनरल मोटर्स जैसी दिग्गज कंपनियों ने खुलकर विरोध जताया।
इन कंपनियों का कहना था कि इतने भारी टैरिफ के कारण गाड़ियों की लागत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो जाएगी, जिससे न सिर्फ बिक्री प्रभावित होगी बल्कि अमेरिकी ग्राहकों पर भी आर्थिक बोझ पड़ेगा। इसके बाद उद्योग संगठनों ने वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक, ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर से संपर्क कर इस फैसले को वापस लेने की अपील की।
मिशिगन यात्रा से पहले आया यू-टर्न
ट्रंप का यह यू-टर्न ऐसे समय पर आया है जब वे मिशिगन की यात्रा पर जाने वाले हैं। मिशिगन के डेट्रॉइट को अमेरिका का ऑटो हब माना जाता है, जहां 1000 से ज्यादा ऑटो सप्लायर्स और कंपनियां मौजूद हैं। माना जा रहा है कि मिशिगन में राजनीतिक प्रभाव और आगामी चुनावों को देखते हुए ट्रंप ने यह राहत देने का फैसला लिया है, ताकि वे वहां की ऑटो इंडस्ट्री का समर्थन पा सकें।
व्हाइट हाउस की आधिकारिक घोषणा
व्हाइट हाउस की ओर से वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिकी वाहन निर्माताओं और श्रमिकों के साथ मजबूत साझेदारी बना रहे हैं। यह डील न सिर्फ घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देगी बल्कि विदेशी निवेश को भी आकर्षित करेगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इंपोर्टेड गाड़ियों पर अब एक साथ कई टैक्स नहीं लगाए जाएंगे और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ में नरमी बरती जाएगी।
घटती मांग से टैरिफ का असर साफ
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टैरिफ बिना बदलाव के लागू होता, तो गाड़ियों की कीमतें बढ़ जातीं और ऑटो सेक्टर में मांग गिर जाती। इसका सीधा असर अमेरिकी श्रमिकों और फैक्ट्रियों पर पड़ता। कई विदेशी कंपनियों ने यह संकेत दिया था कि अगर टैरिफ जारी रहता, तो वे अमेरिका में अपने निवेश की योजनाएं रोक सकती हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
अब जब ट्रंप ने टैरिफ में राहत का एलान कर दिया है, तो विदेशी कंपनियों को उम्मीद है कि वे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रख सकेंगी। साथ ही, घरेलू कंपनियों को भी विदेशी पार्ट्स की लागत कम होने से फायदा मिलेगा।
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि ट्रंप के फैसलों में स्थायित्व की कमी रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह राहत कब तक बनी रहती है, और क्या चुनावी समीकरणों के चलते इसमें फिर कोई बदलाव होता है।
ट्रंप का यह यू-टर्न जहां एक ओर अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री के लिए राहत लेकर आया है, वहीं दूसरी ओर यह संकेत भी देता है कि वैश्विक दबाव और घरेलू राजनीतिक समीकरण किस हद तक बड़े फैसलों को प्रभावित कर सकते हैं। फिलहाल, ऑटो इंडस्ट्री ने राहत की सांस ली है, लेकिन यह राहत कितनी देर तक टिकी रहेगी, यह वक्त ही बताएगा।