देश

1990 की हिरासत में मौत मामला: पूर्व IPS संजीव भट्ट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

1990 की हिरासत में मौत मामला:  1990 के चर्चित हिरासत में मौत मामले में फंसे पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। मंगलवार को अदालत ने उनकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें कोई मेरिट नहीं है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने साफ कहा कि वे इस याचिका को स्वीकार नहीं कर सकते।

यह मामला 30 अक्टूबर 1990 का है, जब गुजरात के जामजोधपुर शहर में सांप्रदायिक तनाव के चलते 150 से अधिक लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। ये लोग भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को रोके जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इन्हीं में से एक व्यक्ति – प्रभुदास वैषनानी – की हिरासत से छूटने के बाद अस्पताल में मौत हो गई। इस पर मृतक के भाई ने आरोप लगाया कि प्रभुदास को हिरासत में बुरी तरह प्रताड़ित किया गया, जिससे उसकी मौत हुई।

इस मामले में संजीव भट्ट समेत 6 पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे और लंबी जांच प्रक्रिया के बाद 2018 में संजीव भट्ट को गिरफ्तार किया गया। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। संजीव भट्ट ने इसके बाद गुजरात हाई कोर्ट में अपील की, जिसे 2024 में खारिज कर दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को चुनौती देने वाली उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

संजीव भट्ट का यह मामला हमेशा से विवादों में रहा है। एक ओर जहां उन्हें एक तेज-तर्रार और ईमानदार अधिकारी के रूप में देखा गया, वहीं दूसरी ओर उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले भी उठे। खास बात यह है कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे, जिसके बाद उनका नाम राजनीतिक बहसों में बार-बार आया।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दर्शाता है कि देश की सर्वोच्च अदालत तथ्यों और कानून के आधार पर निर्णय लेती है, भले ही मामला कितना भी चर्चित या राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्यों न हो।

इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली 13 याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह इन मामलों पर दोबारा सुनवाई नहीं करेगा।

पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। 1990 की एक घटना, जो धीरे-धीरे इतिहास बन चुकी थी, आज भी न्याय व्यवस्था के कठोर परीक्षण से गुजर रही है। क्या संजीव भट्ट अब राष्ट्रपति के पास दया याचिका लेकर जाएंगे या कानूनी लड़ाई यहीं खत्म होगी? यह आने वाला समय बताएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button