Reserve Bank of India: 1 जनवरी से बदल जाएगा अंगूठे से पैसे निकालने का तरीका! जानिए RBI का बड़ा फैसला

Reserve Bank of India (RBI) ने शुक्रवार को आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) के तहत सेवाएं देने वाले ऑपरेटर्स यानी AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर (ATO) को लेकर बैंकों को नए निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के लागू होने से उन लोगों की सुविधा और सुरक्षा दोनों बढ़ जाएगी, जो अंगूठे के निशान के ज़रिए बैंक से पैसे निकालते हैं। RBI का मुख्य उद्देश्य AEPS में धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकना और इस प्रणाली में लोगों का भरोसा बनाए रखना है।
ATO को शामिल करने से पहले होगी गहन जांच
RBI ने सभी बैंकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर (ATO) को शामिल करने से पहले उसकी पूरी जांच करें। यह जांच वैसी ही होगी जैसी नए ग्राहकों को जोड़ते समय की जाती है। यदि कोई ATO पहले से ही बैंक का बिजनेस सब-एजेंट है और उसकी KYC और वेरिफिकेशन हो चुकी है, तो बैंक उसे AEPS सेवाओं के लिए भी जोड़ सकते हैं। यह नया नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा।
आरबीआई ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) टचपॉइंट संचालकों की उचित जांच के संबंध में निदेश जारी किए
RBI issues directions on Due Diligence of Aadhaar Enabled Payment System (AePS) Touchpoint Operatorshttps://t.co/entVBvDmvq— ReserveBankOfIndia (@RBI) June 27, 2025
3 महीने से निष्क्रिय ATO पर भी नज़र
नए निर्देशों के मुताबिक अगर कोई AEPS टचपॉइंट ऑपरेटर तीन महीनों तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं करता है, यानी निष्क्रिय रहता है, तो दोबारा उसे सक्रिय करने से पहले बैंक को उसकी फिर से KYC करनी होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई अनधिकृत व्यक्ति या फर्जी ऑपरेटर प्रणाली में प्रवेश न कर सके।
धोखाधड़ी रोकने के लिए जरूरी कदम
RBI ने अपने नोटिफिकेशन में कहा कि AEPS प्रणाली के ज़रिए धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, खासतौर पर पहचान की चोरी और बायोमेट्रिक डेटा के दुरुपयोग के ज़रिए। इससे ग्राहकों का पैसा खतरे में पड़ सकता है। इसी वजह से RBI ने इन नियमों को पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 की धारा 10(2) और 18 के तहत जारी किया है। इनका उद्देश्य AEPS को मजबूत और ग्राहकों के लिए भरोसेमंद बनाना है।
समय-समय पर होंगे नियमों की समीक्षा
RBI ने यह भी कहा है कि AEPS और ATO से जुड़े ऑपरेशनल पैरामीटर्स की समीक्षा समय-समय पर की जाती रहेगी ताकि तकनीकी बदलाव और फील्ड से मिले फीडबैक के आधार पर सुधार किए जा सकें। बैंक ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे अपना बायोमेट्रिक डेटा सिर्फ अधिकृत ऑपरेटर के सामने ही दें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।