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लोन रिजेक्ट हुआ तो क्या? RERA के फैसले ने लौटाया ₹7 लाख का बुकिंग अमाउंट

RERA: मुंबई के मुलुंड इलाके में एक फ्लैट बुकिंग विवाद ने अब देशभर के होम बायर्स को राहत देने का रास्ता खोल दिया है। मामला था Lodha Developers की एक हाई-प्रोफाइल हाउसिंग सोसाइटी का जहां एक ग्राहक ने ₹2.27 करोड़ का फ्लैट बुक किया था और ₹7 लाख की बुकिंग अमाउंट भी जमा कर दी थी। ग्राहक को बिल्डर की सेल्स टीम की तरफ से मौखिक आश्वासन दिया गया था कि अगर लोन पास नहीं हुआ या किसी व्यक्तिगत वजह से फ्लैट नहीं लेना हो तो पूरा पैसा वापस कर दिया जाएगा। लेकिन जब बैंक ने लोन रिजेक्ट कर दिया और ग्राहक ने पैसा वापस मांगा, तो बिल्डर ने मना कर दिया।

बैंक ने लोन किया रिजेक्ट, बिल्डर ने थामा नियमों का सहारा

जब ग्राहक ने लोन न मिलने के कारण बुकिंग कैंसल की और पैसे की मांग की, तो बिल्डर ने शर्तों का हवाला दिया। उनका कहना था कि बुकिंग फॉर्म की क्लॉज 1.4 और 3.5 के अनुसार पैसा रिफंड नहीं किया जा सकता। बिल्डर का तर्क था कि घर की बुकिंग होने से वे किसी अन्य खरीदार को वह यूनिट नहीं बेच पाए और उनका नुकसान हुआ। लेकिन ग्राहक ने कहा कि उसे तो इन शर्तों की जानकारी ही नहीं दी गई थी। उसके अनुसार उसे बस इतना बताया गया कि जरूरत पड़ी तो पैसा लौटा दिया जाएगा।

लोन रिजेक्ट हुआ तो क्या? RERA के फैसले ने लौटाया ₹7 लाख का बुकिंग अमाउंट

MahaRERA ने ग्राहक को माना सही

मामला जब महाराष्ट्र रेरा (MahaRERA) के पास पहुंचा तो उन्होंने सभी पक्षों को ध्यान से सुना और जांच की। रेरा ने स्पष्ट कहा कि बिल्डर की सेल्स टीम ने ग्राहक को बुकिंग फॉर्म की शर्तें ठीक से नहीं समझाईं। ग्राहक ने 18 नवंबर को बुकिंग की थी और केवल 9 दिन बाद 27 नवंबर को ही यह सूचित कर दिया था कि लोन रिजेक्ट हो गया है। रेरा ने कहा कि इतनी जल्दी सूचना देने के बावजूद भी बुकिंग अमाउंट जब्त करना बिलकुल अनुचित है।

कानून का मकसद है खरीदारों की सुरक्षा

MahaRERA ने फैसले में लिखा कि रेरा एक्ट का उद्देश्य ही खरीदारों को राहत देना है। बिल्डर की यह दलील स्वीकार नहीं की जा सकती कि उन्होंने घर बेचने का मौका खो दिया। क्योंकि खरीदार ने समय रहते सूचना दे दी थी और बिल्डर ने कोई ठोस खर्च का ब्यौरा भी नहीं दिया। अतः ₹6,65,000 की राशि बिना किसी ब्याज के ग्राहक को लौटाई जाए।

15 जुलाई तक पैसा लौटाने का आदेश

रेरा ने साफ तौर पर आदेश दिया कि बिल्डर को यह राशि 15 जुलाई 2025 तक लौटानी होगी। यदि तय तारीख तक पैसा वापस नहीं किया गया तो 16 जुलाई 2025 से SBI की MCLR दर से 2% अधिक ब्याज के साथ बिल्डर को राशि लौटानी पड़ेगी। यह फैसला देशभर के फ्लैट खरीदारों के लिए नजीर बन सकता है जो बिल्डरों की मनमानी का शिकार होते हैं।

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