Patanjali की नई चाल से खत्म होगा 9 लाख करोड़ का तेल खर्च, मलेशिया से हुआ ऐतिहासिक बीज सौदा!

Patanjali : भारत का आयात बिल केवल कच्चे तेल या सोने से नहीं बढ़ता बल्कि खाने के तेल यानी एडिबल ऑयल से भी होता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का खाने के तेल का आयात 104 अरब डॉलर यानी करीब 9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। सोचिए खाने के तेल की देश में कितनी बड़ी मांग है। भारत खुद उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहा है लेकिन अब भी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में तेल बाहर से मंगाना पड़ता है। इस बीच पतंजलि ने एक बड़ी पहल की है जो इस खर्च को कम करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
पतंजलि और मलेशिया का करार
पतंजलि ने मलेशिया की सरकारी एजेंसी Sawit Kinabalu Group के साथ 5 साल का करार किया है। इस समझौते के तहत मलेशिया की कंपनी पतंजलि को 40 लाख पाम ऑयल के बीज सप्लाई करेगी। अब तक कंपनी 15 लाख बीज दे चुकी है और यह डील साल 2027 में पूरी होगी। खास बात ये है कि मलेशिया की ये कंपनी हर साल एक करोड़ से ज्यादा पाम बीजों की प्रोसेसिंग करती है। साथ ही भारत में जो बीज लगाए जाएंगे उनकी गुणवत्ता पर कृषि विशेषज्ञ निगरानी रखेंगे। यह मलेशिया सरकार का अपनी तरह का पहला समझौता है जिसमें वह बीज निर्यात कर रही है।
पूर्वोत्तर में खुलेगा पाम ऑयल मील
पतंजलि अब भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में पाम ऑयल की मिल लगाने जा रही है जो 2026 तक चालू हो सकती है। फिलहाल देश में करीब 3,69,000 हेक्टेयर में पाम की खेती होती है जिसमें से 1,80,000 हेक्टेयर पर पौधे तैयार हो चुके हैं। 2024 तक ये रकबा 3.75 लाख हेक्टेयर हो गया है और जल्द ही इसमें 80 हजार से 1 लाख हेक्टेयर और जुड़ने की उम्मीद है। सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक इसे बढ़ाकर 66 लाख हेक्टेयर कर दिया जाए जिससे 28 लाख टन पाम ऑयल का उत्पादन हो सके।
सरकारी योजना से मिल रही है मदद
खाद्य तेलों की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2021-22 में NMEO-OP यानी नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-पाम ऑयल शुरू किया। इस योजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर खास फोकस किया गया है। भारत के कुल पाम तेल उत्पादन का 98 फीसदी हिस्सा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल से आता है। पतंजलि की इस योजना से इन राज्यों को भी बढ़ावा मिलेगा और देश में तेल की खेती को ताकत मिलेगी।
9 लाख करोड़ के बिल में कटौती की उम्मीद
पतंजलि की यह योजना भारत के खाने के तेल के आयात बिल को कम करने में मदद करेगी। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का खाने के तेल का आयात 104 अरब डॉलर से भी अधिक हो सकता है। भारत इस समय दुनिया का सबसे बड़ा खाने के तेल का आयातक देश है और 2024-25 में 1.62 करोड़ मीट्रिक टन तेल आयात करने की संभावना है। पतंजलि की इस पहल से ना केवल विदेशी निर्भरता घटेगी बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी एक बड़ा कदम साबित होगा।