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Gold Loan: सोना गिरवी, EMI अधूरी! बचा सकते हैं या हो जाएगी नीलामी? पढ़िए पूरी जानकारी

Gold Loan: कोरोना महामारी के बाद देशभर में आर्थिक अस्थिरता बढ़ी तो लोगों ने तुरंत पैसे की जरूरत के लिए गोल्ड लोन का सहारा लिया। यह एक सुरक्षित लोन होता है जिसमें बैंक को सोना गिरवी मिलता है इसलिए इसे जल्दी मंजूरी मिलती है। इसके अलावा इस पर ब्याज दर भी पर्सनल लोन से कम होती है। यही वजह है कि कई लोग अब बिना ज्यादा कागजी कार्रवाई के गोल्ड लोन लेना पसंद कर रहे हैं।

EMI नहीं चुकाने पर कब होता है खतरा

अगर आप गोल्ड लोन की EMI नहीं भर पाते हैं तो शुरुआती तीन महीने यानी 90 दिनों तक बैंक इंतजार करता है। इसके बाद आपका लोन NPA (Non Performing Asset) घोषित कर दिया जाता है। फिर बैंक या एनबीएफसी की ओर से एक नोटिस भेजा जाता है जिसमें 15 से 30 दिनों के अंदर बकाया राशि चुकाने की चेतावनी दी जाती है। अगर आप इसके बाद भी भुगतान नहीं करते हैं तो बैंक आपके गिरवी रखे सोने की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।

Gold Loan: सोना गिरवी, EMI अधूरी! बचा सकते हैं या हो जाएगी नीलामी? पढ़िए पूरी जानकारी

 सोना नीलामी से पहले क्या है चेतावनी प्रक्रिया

सोने की नीलामी से पहले बैंक आपको नोटिस भेजता है और आपको अंतिम मौका देता है। आमतौर पर यह नोटिस अखबारों में भी प्रकाशित किया जाता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। नीलामी की तारीख से पहले आप अपना बकाया चुकाकर नीलामी को रोक सकते हैं। कुछ मामलों में बैंक अतिरिक्त समय भी देता है यदि आप उचित कारण बताकर निवेदन करते हैं।

क्या EMI न भरने पर भी बच सकता है सोना?

अगर आप किसी कारणवश EMI नहीं भर पा रहे हैं तो आपके पास कुछ विकल्प हैं। आप बैंक से लोन रिस्ट्रक्चरिंग की मांग कर सकते हैं। यदि आपकी परेशानी अस्थायी है तो बैंक आपकी EMI कुछ महीनों के लिए स्थगित कर सकता है या भुगतान की शर्तें आसान कर सकता है। आप आंशिक भुगतान करके भी नीलामी को टाल सकते हैं। इसके अलावा, आप किसी दूसरे बैंक में लोन ट्रांसफर कर सकते हैं जहां बेहतर ब्याज दर मिले और EMI सस्ती हो जाए।

भविष्य में लोन लेने की संभावनाएं होती हैं कम

गोल्ड लोन की EMI न चुकाने से न सिर्फ आप अपना कीमती सोना गंवा सकते हैं बल्कि आपका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो सकता है। इससे भविष्य में आपको पर्सनल लोन, होम लोन या कार लोन मिलने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए ज़रूरी है कि आप लोन लेने से पहले अपनी चुकाने की क्षमता का आकलन करें और अगर परेशानी आए तो बैंक से खुलकर बात करें।

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