Stock market में गिरावट के बाद निवेशकों का रुझान बढ़ा इंडेक्स फंड्स और ETFs की ओर

Stock market में हाल ही में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ गई है। इस गिरावट के चलते अब निवेशक कम जोखिम वाले विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। ऐसे में इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) की मांग तेजी से बढ़ी है। इन दोनों निवेश साधनों को पारंपरिक म्यूचुअल फंड योजनाओं की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इंडेक्स फंड्स और ETFs में निवेश करने से पहले यह समझना जरूरी है कि दोनों में क्या अंतर है और कौन-सा विकल्प किस निवेशक के लिए बेहतर है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इंडेक्स फंड्स और ETFs में क्या मूलभूत अंतर हैं और आपके लिए कौन-सा निवेश बेहतर रहेगा।
इंडेक्स फंड और ETF में क्या अंतर है?
1. ट्रेडिंग का तरीका (Trading Mechanism)
ETFs को शेयर बाजार में शेयरों की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है। इसका मतलब है कि निवेशक पूरे दिन के दौरान किसी भी समय इन्हें बाजार मूल्य पर खरीद या बेच सकते हैं। दूसरी ओर, इंडेक्स फंड्स की खरीद-बिक्री दिन में केवल एक बार होती है, जब शेयर बाजार बंद हो जाता है। इंडेक्स फंड्स की ट्रेडिंग नेट एसेट वैल्यू (NAV) के आधार पर होती है, जो बाजार बंद होने के बाद तय होती है।
2. निवेश में लचीलापन (Flexibility in Investing)
ETFs में निवेशक इंट्राडे (Intraday) प्राइस मूवमेंट का फायदा उठा सकते हैं। यह उन निवेशकों के लिए सही है जो बाजार में ट्रेडिंग कर पैसे कमाना चाहते हैं। दूसरी तरफ, इंडेक्स फंड्स में इतनी लचीलापन नहीं होती क्योंकि इन्हें केवल ट्रेडिंग दिन के अंत में खरीदा या बेचा जा सकता है।
3. डीमैट अकाउंट की जरूरत (Demat Account Requirement)
ETFs में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट अनिवार्य होता है क्योंकि ये फंड्स स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं और शेयरों की तरह ट्रेड होते हैं। वहीं, इंडेक्स फंड्स में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती, जिससे यह उन निवेशकों के लिए सुविधाजनक हो जाता है जो म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं लेकिन शेयर बाजार में सीधा निवेश नहीं करना चाहते।
4. SIP के जरिए निवेश (Investing through SIP)
इंडेक्स फंड्स में सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश किया जा सकता है। इसमें निवेशक नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं। जबकि, ETFs में SIP के जरिए निवेश करना संभव नहीं होता, जिससे वे उन निवेशकों के लिए कम आकर्षक हो सकते हैं जो धीरे-धीरे और अनुशासित तरीके से निवेश करना चाहते हैं।
5. खर्च (Expense Ratio)
ETFs की लागत इंडेक्स फंड्स की तुलना में कम होती है क्योंकि वे पासिव मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी का पालन करते हैं और उनका एक्सपेंस रेशियो काफी कम होता है। यही वजह है कि लॉन्ग-टर्म निवेशक, जो फंड मैनेजमेंट फीस पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते, वे ETFs को प्राथमिकता देते हैं।
कौन-सा निवेश आपके लिए सही?
अब सवाल यह उठता है कि इंडेक्स फंड्स और ETFs में से कौन-सा बेहतर है? इसका उत्तर आपके निवेश के तरीके और लक्ष्यों पर निर्भर करता है।
✅ अगर आप लॉन्ग-टर्म निवेशक हैं और SIP के जरिए निवेश करना चाहते हैं, तो इंडेक्स फंड्स आपके लिए सही रहेंगे।
✅ अगर आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं और बाजार में तेजी से मूवमेंट का फायदा उठाना चाहते हैं, तो ETFs आपके लिए बेहतर हो सकते हैं।
✅ अगर आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है और आप निवेश को आसान बनाना चाहते हैं, तो इंडेक्स फंड्स एक सुविधाजनक विकल्प हैं।
✅ अगर आप कम एक्सपेंस रेशियो वाले विकल्प की तलाश में हैं और कम लागत में निवेश करना चाहते हैं, तो ETFs बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
भारतीय बाजार में बढ़ती ETFs और इंडेक्स फंड्स की लोकप्रियता
भारत में निवेशकों के बीच ETFs और इंडेक्स फंड्स की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
बाजार में बढ़ती अनिश्चितता: हाल ही में बाजार में भारी गिरावट के बाद निवेशक सुरक्षित और कम जोखिम वाले निवेश विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
कम लागत और पारदर्शिता: ETFs और इंडेक्स फंड्स में सक्रिय रूप से प्रबंधित म्यूचुअल फंड्स की तुलना में कम शुल्क लगता है, जिससे वे अधिक आकर्षक बन जाते हैं।
सरकार और रेगुलेटर्स का समर्थन: सेबी (SEBI) और अन्य नियामक एजेंसियां पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए इंडेक्स फंड्स और ETFs को प्रोत्साहित कर रही हैं।
संस्थागत निवेशकों की रुचि: विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशक (FIIs और DIIs) भी अब इन साधनों में अधिक रुचि ले रहे हैं, जिससे इनकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
शेयर बाजार में हालिया गिरावट के बाद निवेशक इंडेक्स फंड्स और ETFs में अधिक रुचि ले रहे हैं। हालांकि, इन दोनों में महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिनके आधार पर निवेशकों को सही निर्णय लेना चाहिए।
इंडेक्स फंड्स उन निवेशकों के लिए सही हैं जो बिना डीमैट अकाउंट खोले नियमित रूप से निवेश करना चाहते हैं।
ETFs उन निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं और इंट्राडे प्राइस मूवमेंट का लाभ उठाना चाहते हैं।
कम लागत और पारदर्शिता के कारण दोनों ही विकल्प लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
अगर आप बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, तो इंडेक्स फंड्स और ETFs दोनों ही शानदार विकल्प हो सकते हैं। अब यह आपको तय करना है कि आपकी निवेश रणनीति और लक्ष्य के हिसाब से कौन-सा विकल्प आपके लिए सबसे सही रहेगा!