गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से वृद्धि, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में मौतें और नए मामले सामने आए

देश के कुछ राज्यों में गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, और हाल ही में आंध्र प्रदेश से इस बीमारी के कारण एक और मौत का मामला सामने आया है। स्वास्थ्य मंत्री सत्य कुमार यादव ने सोमवार को बताया कि पिछले 10 दिनों में, आंध्र प्रदेश में गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के कारण 45 वर्षीय महिला और एक नाबालिग लड़के की मौत हो चुकी है। अब तक आंध्र प्रदेश में GBS के कारण दो मौतें हो चुकी हैं। इनमें से पहली मौत 10 दिन पहले हुई थी।
आंध्र प्रदेश में दो मौतें
स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, 45 वर्षीय कमलम्मा की मौत गुंटूर स्थित सरकारी सामान्य अस्पताल (GGH) में हुई, जबकि 10 वर्षीय लड़के की मौत 10 दिन पहले श्रीकाकुलम स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज में हुई थी। यादव ने बताया कि 2024 में अब तक कुल 267 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से पहले छह महीनों में 141 मामले सामने आए, जबकि अगले छह महीनों में 126 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस बीमारी के अधिकतर मामलों का इलाज किया जा सकता है और गंभीर मामलों में इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन और आईसीयू में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।
GBS क्या है?
गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) गलती से अपने ही पेरिफेरल नर्वस (तंत्रिका तंत्र) पर हमला कर देती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नपन और झनझनाहट की समस्या उत्पन्न होती है। इस बीमारी की शुरुआत अक्सर संक्रमण, जैसे कि वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के बाद होती है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करता है।
GBS का इलाज संभव है, और सही समय पर उपचार मिलने से अधिकांश मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इलाज और कभी-कभी आईसीयू में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।
पुणे, महाराष्ट्र में नए मामले सामने आए
वहीं, महाराष्ट्र के पुणे से भी हाल ही में पांच और GBS मरीजों के मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही पुणे क्षेत्र में गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के संदेहास्पद और पुष्ट मामलों की संख्या 197 तक पहुँच गई है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यहां मिले पांच मरीजों में दो नए मामले और तीन पुराने मामलों से संबंधित हैं। स्वास्थ्य विभाग के जारी बयान में कहा गया कि इन 197 मामलों में से 172 का इलाज किया जा चुका है।
GBS के इलाज और सावधानियाँ
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि गुइलैन-बैरे सिंड्रोम के मामलों का इलाज किया जा सकता है, और मरीजों को सही समय पर इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन और अन्य उपचार से राहत मिल सकती है। इस बीमारी के मामले महीने में औसतन 25 तक रिपोर्ट किए जाते हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि यदि समय रहते इलाज किया जाए तो अधिकांश मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकते हैं, हालांकि कुछ गंभीर मामलों में लंबी चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है।
हालांकि, इस बीमारी के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग और सरकारों की चिंता भी बढ़ गई है। गुइलैन-बैरे सिंड्रोम के मामलों की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है, और अब सरकार ने इस बीमारी के इलाज के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
GBS के प्रसार और कारण
GBS के मामलों में वृद्धि का कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी कुछ प्रकार के संक्रमणों के बाद उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, हालांकि यह बच्चों और युवाओं में अधिक सामान्य है।
इसके अलावा, कई शोधों में यह बात सामने आई है कि यह बीमारी कभी-कभी कुछ टीकों के बाद भी उत्पन्न हो सकती है, लेकिन इसका कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। हालाँकि, स्वास्थ्य मंत्री ने यह सुनिश्चित किया है कि गुइलैन-बैरे सिंड्रोम के अधिकांश मामलों का इलाज किया जा सकता है और गंभीर मामलों में उचित चिकित्सा से मरीजों को स्वस्थ किया जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की सख्त निगरानी और उपचार के उपाय
स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके इलाज और प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों में GBS के इलाज के लिए विशेष प्रशिक्षण आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि डॉक्टर और चिकित्सा स्टाफ़ इस बीमारी का शीघ्र और प्रभावी उपचार कर सकें।
इसके साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान भी शुरू किया है, ताकि लोग इस बीमारी के लक्षणों को जल्दी पहचान सकें और समय रहते इलाज करा सकें।
गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में। हालांकि यह एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही समय पर उपचार मिलने पर इसे ठीक किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस बीमारी के इलाज के लिए इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन और आईसीयू की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन अधिकांश मामलों में मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकते हैं। ऐसे में लोगों को इसके लक्षणों के बारे में जागरूक रहना और समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।