RBI Announcement: रुपया डॉलर के मुकाबले फिर से कमजोर, लेकिन आरबीआई का इसे संभालने के लिए का बड़ा कदम

RBI Announcement: भारत की मुद्रा रुपया एक बार फिर डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही है। यह स्थिति तब उत्पन्न हो रही है जब देश की अर्थव्यवस्था थोड़ी मंदी की ओर बढ़ रही है और वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। अमेरिका से लेकर भारत तक, शेयर बाजारों में गिरावट का दौर जारी है। ऐसे में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये को संभालने और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की योजना बनाई है।
आरबीआई ने घोषणा की है कि वह इस महीने के अंत तक बैंकों में 10 अरब डॉलर (लगभग 87,300 करोड़ रुपये) का निवेश करेगा। इस कदम का उद्देश्य बैंकों की तरलता (Liquidity) को बढ़ाना और रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूती देने का है। आरबीआई का यह कदम “दो निशाने एक ही गोली में” जैसा होगा। यह कदम देश की अर्थव्यवस्था को संजीवनी प्रदान करेगा और रुपये को डॉलर के मुकाबले वापस स्थिर करने में मदद करेगा। आरबीआई ने इस कार्य को विदेशी मुद्रा भंडार की विनिमय प्रणाली के तहत करने का निर्णय लिया है।
आरबीआई का कदम – 10 अरब डॉलर का निवेश बैंकों में
आरबीआई के अनुसार, वह बैंकों में यह 10 अरब डॉलर की राशि 36 महीने की अवधि के लिए लगाएगा। आरबीआई ने यह कदम रुपये को कमजोर होने से रोकने और बैंकों की तरलता को सुधारने के लिए उठाया है। इसके लिए, 24 मार्च को एक नीलामी का आयोजन किया जाएगा। इस नीलामी के दौरान, एक वाणिज्यिक बैंक अमेरिकी डॉलर को रिजर्व बैंक को बेचेगा और अंत में बैंक उसी राशि के डॉलर रिजर्व बैंक से खरीदने के लिए सहमत होंगे। इससे बैंकों के पास भारतीय रुपये के रूप में नकदी आएगी, जिससे उनकी तरलता में सुधार होगा और वे डॉलर के भंडार को सुरक्षित रख सकेंगे।
रुपये की स्थिति – कमजोर होती जा रही है
कल, यानी 9 मार्च को रुपये की शुरुआत विदेशी मुद्रा बाजार में 87.24 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से हुई। हालांकि, व्यापार के दौरान रुपये ने 87.16 रुपये प्रति डॉलर तक सुधार किया, लेकिन अंत में यह 87.33 रुपये प्रति डॉलर (प्रारंभिक आंकड़े) पर बंद हुआ, जो पिछले समापन से 38 पैसे की गिरावट थी। यह गिरावट एक महीने में सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। इससे पहले, 5 फरवरी को भी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट के साथ 39 पैसे कमजोर हुआ था। पिछले सप्ताह शुक्रवार को, रुपया 17 पैसे की बढ़त के साथ 86.95 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
आरबीआई की रणनीति – तरलता को बढ़ाना और रुपये को मजबूत करना
आरबीआई द्वारा अपनाए गए इस कदम से बैंकों की तरलता में सुधार होगा, जिससे उन्हें अपने कामकाजी पूंजी की जरूरतों को पूरा करने में आसानी होगी। साथ ही, इस कदम से रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूती मिलेगी। यह विदेशी मुद्रा भंडार की विनिमय प्रणाली के तहत किया जाएगा, जिससे भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्थिरता मिलेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। जैसा कि हम जानते हैं, रुपये का कमजोर होना देश के लिए कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जैसे महंगाई में वृद्धि, आयात लागत में बढ़ोतरी, और विदेशी मुद्रा संकट। ऐसे में, आरबीआई का यह कदम रुपये को स्थिर करने में मदद करेगा और देश की आर्थिक स्थिति को बनाए रखने में सहायक साबित होगा।
क्या है आरबीआई की नीतियों का असर?
आरबीआई के इस कदम का असर भारतीय शेयर बाजारों और विदेशी मुद्रा बाजारों पर भी देखा जा सकता है। इसके द्वारा बैंकों की तरलता में सुधार होगा, जिससे बाजार में पैसे की आपूर्ति बेहतर होगी। इसके अलावा, रुपये की स्थिति में भी सुधार हो सकता है, जिससे व्यापारियों और निवेशकों को आश्वासन मिलेगा।
इसके अलावा, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है, क्योंकि आरबीआई द्वारा की गई इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि भारतीय रिजर्व बैंक देश की मुद्रा को स्थिर रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
आरबीआई का यह कदम भारतीय मुद्रा रुपया को मजबूती देने के लिए अहम हो सकता है। इस उपाय के द्वारा बैंकों की तरलता में सुधार होगा और रुपये की स्थिति में स्थिरता आएगी। इसके साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था को भी संजीवनी मिलेगी, जो मौजूदा समय में थोड़ी मंदी का सामना कर रही है। हालांकि, इस कदम का असर अब धीरे-धीरे दिखेगा और हमें देखना होगा कि क्या यह रुपये को डॉलर के मुकाबले स्थिर कर पाता है या नहीं।