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26 साल बाद अमेरिका में पकड़ी गई Monika Kapoor! झूठे बिल और गोल्ड लाइसेंस से हुआ बड़ा घोटाला

Monika Kapoor नाम की एक महिला जिसने 1998 में सोने के आयात-निर्यात घोटाले में सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया था, आखिरकार अब सीबीआई की गिरफ्त में आ गई है। 26 सालों से फरार मोनिका को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा रहा है। यह गिरफ्तारी भारत-अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत की गई है।

 कैसे किया गया करोड़ों का घोटाला

1998 में मोनिका कपूर ने अपने भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर फर्जी एक्सपोर्ट बिल, शिपिंग दस्तावेज और झूठे बैंक सर्टिफिकेट के जरिए ₹2.36 करोड़ के ड्यूटी फ्री गोल्ड के लिए 6 लाइसेंस हासिल किए थे। इन लाइसेंसों को बाद में अहमदाबाद के एक व्यापारी को मुनाफे पर बेच दिया गया था। इससे भारत सरकार को ₹1.44 करोड़ का सीधा नुकसान हुआ।

 26 साल बाद अमेरिका में पकड़ी गई Monika Kapoor! झूठे बिल और गोल्ड लाइसेंस से हुआ बड़ा घोटाला

 कोर्ट में चार्जशीट और फिर मोनिका का फरार होना

इस केस में दिल्ली के साकेत कोर्ट में 31 मार्च 2004 को चार्जशीट दायर की गई थी। राजन और राजीव को 2017 में दोषी ठहराया गया लेकिन मोनिका जांच में कभी शामिल नहीं हुई। इसी वजह से कोर्ट ने उसे 13 दिसंबर 2016 को ‘घोषित अपराधी’ करार दिया और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट और रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया।

 प्रत्यर्पण की कानूनी लड़ाई और अमेरिकी अदालत का फैसला

मोनिका ने अमेरिका में प्रत्यर्पण रुकवाने की पूरी कोशिश की। उसने अमेरिकी अदालत से अपील की कि भारत में उसे यातना दी जा सकती है जिससे संयुक्त राष्ट्र की ‘कन्वेंशन अगेंस्ट टॉर्चर’ का उल्लंघन होगा। लेकिन अमेरिका की ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ऑफ न्यूयॉर्क ने मोनिका की यह दलील खारिज कर दी और भारत को उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी।

भारत वापसी और अब होगा असली मुकदमा

अब सीबीआई की टीम मोनिका कपूर को लेकर भारत लौट रही है। बुधवार रात तक उसके भारत पहुंचने की संभावना है। उसके भारत पहुंचते ही उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा और फिर 26 साल पुराने इस आर्थिक अपराध का मुकदमा दोबारा खोला जाएगा। अब देखना होगा कि इतने सालों की भागदौड़ के बाद क्या भारत की न्याय व्यवस्था इस केस को अंजाम तक पहुंचा पाएगी।

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