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Jagan Mohan Reddy Rally: हाथ हिलाते रहे जगन मोहन, नीचे कुचला गया शख्स! दिल दहला देने वाला वीडियो आया सामने

Jagan Mohan Reddy Rally: 18 जून को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की एक रैली के दौरान ऐसा हादसा हुआ जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया। इस रैली में हिस्सा लेने आए 55 वर्षीय प्लंबर चिली सिंगय्या की एक कार के नीचे दबकर मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी खुद एक कार में सवार होकर रैली का नेतृत्व कर रहे थे। सिंगय्या वेंगालयपालेम गांव से आए थे और रैली में शामिल थे। जैसे ही रैली का काफिला एतुकुरु हाईवे के पास पहुंचा, अफरातफरी के बीच यह दुर्घटना हो गई।

शुरू में गुमराह करती रही पुलिस की जानकारी

घटना के तुरंत बाद पुलिस ने बयान दिया कि सिंगय्या को एक सफेद टाटा सफारी गाड़ी ने कुचला, जो आधिकारिक काफिले का हिस्सा नहीं थी। इस गाड़ी का नंबर AP 26 CE 0001 बताया गया और उसे एक निजी वाहन बताया गया। लेकिन चार दिन बाद वायरल हुए वीडियो ने पुलिस के दावे पर सवाल खड़े कर दिए। वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक काली गाड़ी, जिसमें खुद जगन मोहन रेड्डी सवार थे, सिंगय्या को कुचलती है। हादसे के वक्त जगन गाड़ी के दरवाजे से बाहर झांकते हुए लोगों का अभिवादन कर रहे थे और सुरक्षाकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे।

वायरल वीडियो ने खोली कई परतें

वीडियो में देखा जा सकता है कि अफरा-तफरी में सिंगय्या सड़क पर गिर जाते हैं और गाड़ी का अगला पहिया उनके गले पर चढ़ जाता है। इसके बाद गाड़ी कुछ पल के लिए रुकती है। तभी आसपास की भीड़ गुलाब की पंखुड़ियां उछाल रही होती है और नारेबाजी कर रही होती है। कुछ समर्थक गाड़ी के बोनट पर भी चढ़े नजर आते हैं। भीड़ इतनी अधिक थी कि गाड़ी पर भी पूरी तरह गुलाब की पंखुड़ियों की परत चढ़ी हुई थी। इन दृश्यों से साफ है कि सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह विफल हो चुकी थी और प्रशासन ने स्थिति को संभालने में लापरवाही की।

घायल को छोड़ आगे बढ़ा काफिला

गुंटूर के एसपी सतीश कुमार ने मीडिया को बताया कि सिंगय्या को सड़क किनारे छोड़ दिया गया और किसी ने भी उनकी हालत की परवाह नहीं की। काफिला आगे बढ़ता रहा। बाद में राजशेखर नामक एक असिस्टेंट, जो हाईवे पेट्रोलिंग ड्यूटी पर थे, घायल सिंगय्या को अस्पताल लेकर गए। लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। एसपी ने बताया कि सिंगय्या गुलाब की पंखुड़ियां फेंकने की कोशिश कर रहे थे और इसी दौरान वे फिसल कर गाड़ी के नीचे आ गए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि रैली के लिए सिर्फ 14 गाड़ियों की अनुमति थी, लेकिन बिना अनुमति के 35 से अधिक वाहन जुड़ गए थे जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

प्रशासन और राजनीतिक जवाबदेही पर सवाल

इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। सबसे पहले तो पुलिस ने गलत गाड़ी का जिक्र किया, फिर रैली में बिना अनुमति के गाड़ियां कैसे जुड़ गईं, इस पर भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। क्या सिंगय्या की मौत एक सामान्य दुर्घटना थी या इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है? राजनीतिक रैलियों में आम जनता की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जिस तरह सिंगय्या को घायल अवस्था में छोड़कर पूरा काफिला आगे बढ़ गया, वह घटना किसी भी लोकतांत्रिक समाज के लिए शर्मनाक मानी जाएगी। अब देखना होगा कि क्या इस हादसे की निष्पक्ष जांच होती है या इसे भी अन्य मामलों की तरह भुला दिया जाएगा।

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