Earthquake: देश के दो राज्यों में महसूस हुए भूकंप के झटके, लोगों में मचा हड़कंप

Earthquake: देश के दो राज्यों, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में पिछले 24 घंटे के दौरान भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रविवार दोपहर राजस्थान के बीकानेर जिले में भूकंप आया, जबकि सोमवार तड़के हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। इन घटनाओं ने लोगों में हड़कंप मचा दिया, हालांकि अब तक किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
हिमाचल प्रदेश में भूकंप के झटके
रविवार के बाद, सोमवार सुबह 6:50 बजे कुल्लू जिले के आसपास भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई। इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी और इसका केंद्र कुल्लू में था। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और क्षेत्र में भय का माहौल बन गया।
इसके अलावा, कुल्लू के आसपास के अन्य जिलों जैसे मंडी और शिमला में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, किसी भी स्थान पर अब तक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन अभी तक कोई बड़े हादसे की सूचना नहीं है।
हिमाचल प्रदेश का भूकंपीय क्षेत्र
हिमाचल प्रदेश में भूकंप के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र कांगड़ा, चंबा, लाहौल, कुल्लू और मंडी जिलों को माना जाता है। यह क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील है और इसे भारत के भूकंपीय क्षेत्र 4 और 5 में रखा गया है। इन क्षेत्रों में भूकंप के झटके अधिक महसूस किए जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में भूकंप के खतरे को देखते हुए सरकार और स्थानीय प्रशासन को सशक्त उपाय करने चाहिए ताकि किसी भी बड़े भूकंप के दौरान जनहानि से बचा जा सके।
राजस्थान में भी आए भूकंप के झटके
रविवार दोपहर बीकानेर, राजस्थान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र (NCS) के मुताबिक, बीकानेर क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 3.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इसका केंद्र बीकानेर से 10 किलोमीटर की गहराई पर था।
यह भूकंप अचानक आया, जिससे क्षेत्र में डर का माहौल बन गया। हालांकि, इस भूकंप के कारण कोई जनहानि या संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इसके बावजूद लोग दहशत में आ गए और कुछ समय के लिए सभी अपने घरों से बाहर निकल आए।
भूकंप के प्रति तैयारियों की आवश्यकता
भूकंप के झटकों को देखते हुए अब यह जरूरी हो जाता है कि प्रशासन और लोगों को भूकंप से बचने के उपायों को लेकर जागरूक किया जाए। हिमाचल प्रदेश और राजस्थान दोनों भूकंप के दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र हैं, और यहां भूकंप से बचाव के उपायों की और अधिक जरूरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भूकंप के झटकों का असर अधिक हो सकता है यदि इन क्षेत्रों में भूकंपीय गतिविधियों को नियंत्रित करने के उपाय नहीं किए गए। इन राज्यों में भूकंप के दौरान सबसे पहले जो खतरे उत्पन्न होते हैं, वह हैं इमारतों का गिरना, बिजली के तारों का टूटना, और सड़कें क्षतिग्रस्त होना। ऐसे में भूकंप के बाद बचाव कार्यों को तत्काल प्रभाव से शुरू करना आवश्यक है।
भारतीय भूकंपीय क्षेत्र
भारत को भूकंप के लिहाज से भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है। भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप की संभावना 2 से 5 तक के क्षेत्र में मापी गई है। राजस्थान और हिमाचल प्रदेश का अधिकांश भाग भूकंपीय क्षेत्र 4 और 5 में आता है, जहां भूकंप के झटके नियमित रूप से महसूस होते रहते हैं।
इसलिए इन क्षेत्रों में भूकंप के खतरे से निपटने के लिए अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता है, जैसे कि इमारतों का मजबूत निर्माण, समय पर चेतावनियों का प्रसार, और फर्स्ट-एड ट्रेनिंग का आयोजन।
भविष्य में क्या उम्मीद की जा सकती है?
कुल्लू और बीकानेर में महसूस हुए भूकंप के झटकों के बाद यह सवाल उठता है कि क्या इन क्षेत्रों में भविष्य में और भूकंप आ सकते हैं? भूकंपीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के भूकंप कभी भी पुनः हो सकते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता पर निर्भर करेगा कि ये अधिक विनाशकारी होंगे या नहीं।
चिंता का कारण यह है कि भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्सों में भूकंप की गतिविधि धीरे-धीरे बढ़ रही है, और इन क्षेत्रों में हर साल कई बार हल्के और मध्यम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं। हालांकि, अधिक तीव्रता वाले भूकंपों की संभावना कम होती है, लेकिन ये कभी भी हो सकते हैं।
कुल मिलाकर, बीकानेर और कुल्लू में आए भूकंप के झटके ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भारत के कई हिस्से भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि प्रशासन और नागरिक मिलकर भूकंप से बचाव के उपायों को सख्ती से लागू करें। इसके साथ ही लोगों को भूकंप के समय कैसे सुरक्षित रहना है, इसकी भी जानकारी दी जानी चाहिए।