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Wholesale Price Inflation: मूल्य वृद्धि में कमी, जनवरी 2025 में थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट

Wholesale Price Inflation: जनवरी 2025 में थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) में गिरावट आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में थोक महंगाई दर 2.31 प्रतिशत तक घट गई, जो कि दिसंबर 2024 में 2.37 प्रतिशत थी। यह जानकारी शुक्रवार को सरकारी डेटा द्वारा जारी की गई। यह गिरावट थोक महंगाई दर में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है और अर्थव्यवस्था के लिए राहत की बात है।

प्रमुख वस्तुओं की महंगाई दर में कमी

जनवरी 2025 में प्रमुख वस्तुओं की महंगाई दर 4.69 प्रतिशत रही, जबकि दिसंबर 2024 में यह दर 6.02 प्रतिशत थी। इस आंकड़े से यह साफ़ हो रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है।

फ्यूल और बिजली के थोक मूल्य में भी गिरावट देखी गई। जनवरी 2025 में इनकी महंगाई दर 2.78 प्रतिशत रही, जो कि दिसंबर 2024 में 3.79 प्रतिशत थी। यह गिरावट ऊर्जा के क्षेत्र में राहत का संकेत देती है, जो लंबे समय से बढ़ती कीमतों के कारण आम आदमी के लिए चिंता का कारण बना हुआ था।

Wholesale Price Inflation: मूल्य वृद्धि में कमी, जनवरी 2025 में थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट

इसके अलावा, जनवरी 2025 में निर्मित उत्पादों की महंगाई दर बढ़कर 2.51 प्रतिशत हो गई, जबकि दिसंबर में यह दर 2.14 प्रतिशत थी। यह बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि कुछ औद्योगिक उत्पादों की कीमतों में इज़ाफा हुआ है।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की महंगाई दर जनवरी 2025 में घटकर 5.88 प्रतिशत रही, जबकि यह दिसंबर 2024 में 8.47 प्रतिशत थी। इस गिरावट का मुख्य कारण यह था कि खाद्य पदार्थों की कीमतें कम हो गईं, जिनमें प्रमुख रूप से सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई। जनवरी में सब्जियों की महंगाई दर 8.35 प्रतिशत रही, जो दिसंबर 2024 में 28.65 प्रतिशत थी। यह गिरावट किसानों और उपभोक्ताओं के लिए राहत का कारण बन सकती है।

हालांकि, आलू की महंगाई दर अभी भी बहुत अधिक रही, जो जनवरी में 74.28 प्रतिशत रही। प्याज की कीमतों में भी इज़ाफा देखा गया, और इनकी महंगाई दर जनवरी में 28.33 प्रतिशत रही। यह आंकड़े बताते हैं कि कुछ खाद्य पदार्थों की कीमतों में भले ही कमी आई हो, लेकिन कुछ अन्य वस्तुओं में मूल्य वृद्धि जारी है।

खुदरा महंगाई में भी गिरावट

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई (Retail Inflation) में भी गिरावट दर्ज की गई। पिछले बुधवार को जारी किए गए खुदरा महंगाई के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के चलते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर 4.31 प्रतिशत रही। यह दर पिछले 5 महीनों में सबसे कम रही है। दिसंबर 2024 में यह दर 5.22 प्रतिशत थी।

खुदरा खाद्य महंगाई भी कम हुई, जो जनवरी में 6.02 प्रतिशत रही, जबकि दिसंबर 2024 में यह 8.39 प्रतिशत थी। इस गिरावट को देखकर यह कहा जा सकता है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आने से आम उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है, और सरकार की मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की कोशिशों का असर दिख रहा है।

मुद्रास्फीति में कमी का असर

इस गिरावट का असर आम आदमी पर भी दिखाई दे रहा है। जनवरी में थोक महंगाई में कमी का मतलब यह है कि आने वाले महीनों में वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को कम कीमतों का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही खुदरा महंगाई में भी गिरावट ने भारतीय परिवारों को राहत दी है, खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण।

सरकार की ओर से लगातार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों पर निगरानी रखना और आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाना शामिल है। इस परिणाम से यह उम्मीद जताई जा सकती है कि आने वाले महीनों में महंगाई दर को और भी कम किया जा सकेगा, जिससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

किसानों के लिए राहत

जनवरी 2025 में सब्जियों की महंगाई दर में गिरावट के कारण किसानों के लिए भी राहत मिल सकती है। जब खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है, लेकिन जब इनकी कीमतों में गिरावट होती है, तो इसका लाभ किसानों को मिलता है, जिनके पास उपज बेचने के लिए अधिक बाजार होता है। हालांकि, आलू और प्याज की महंगाई में बढ़ोतरी को लेकर किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता बनी हुई है।

भविष्य में मुद्रास्फीति पर क्या होगा असर?

आने वाले समय में अगर खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं की कीमतों में इस प्रकार की गिरावट जारी रहती है, तो मुद्रास्फीति की दर में और कमी हो सकती है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा हो सकता है, क्योंकि कम महंगाई दर से ब्याज दरों में कमी हो सकती है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

इसके अलावा, अगर उपभोक्ताओं को जरूरी वस्तुओं की कीमतों में राहत मिलती है, तो उनके खर्च में कमी आएगी, जिससे वे अन्य क्षेत्रों में खर्च करने के लिए अधिक धन बचा सकेंगे, जिससे घरेलू बाजार को मजबूती मिलेगी।

जनवरी 2025 में थोक महंगाई दर में गिरावट और खाद्य महंगाई में कमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं। यह दर्शाता है कि सरकार और रिजर्व बैंक की मुद्रास्फीति नियंत्रण नीति काम कर रही है। हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थों की कीमतों में अभी भी बढ़ोतरी देखी जा रही है, खासकर आलू और प्याज की कीमतों में, लेकिन कुल मिलाकर यह एक राहत देने वाली खबर है।

आने वाले समय में अगर यह रुझान जारी रहता है, तो इससे आम उपभोक्ताओं को और अधिक राहत मिलेगी, और भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता आ सकती है।

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