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Sovereign Gold Bond Scheme हुई बंद, जानिए गोल्ड में निवेश के अन्य विकल्प

Sovereign Gold Bond Scheme: भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना को बंद कर दिया गया है, और अब निवेशक इस योजना में निवेश नहीं कर पाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए इस बॉन्ड ने निवेशकों के लिए एक आकर्षक निवेश विकल्प पेश किया था। इस योजना के तहत निवेशकों को डिजिटल इकाइयाँ दी जाती थीं और एक इकाई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 1 ग्राम 24 कैरेट सोने के बराबर होती थी। इस योजना में निवेश करने के दो प्रमुख लाभ थे: पहला, निवेशक जो राशि लगाते थे, उसकी मैच्योरिटी के समय सोने के मूल्य के हिसाब से उन्हें रिटर्न मिलता था, और दूसरा, उन निवेशकों को प्रति वर्ष 2.5 प्रतिशत का ब्याज मिलता था।

हालांकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना अब बंद हो चुकी है, लेकिन अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं, तो आपके पास कई अन्य विकल्प मौजूद हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सोने में निवेश करने के कुछ बेहतरीन विकल्पों के बारे में जानकारी देंगे।

फिजिकल गोल्ड: एक पारंपरिक निवेश विकल्प

सोने में निवेश करने का सबसे आसान तरीका है फिजिकल गोल्ड में निवेश करना। यदि आप सोने में निवेश करना चाहते हैं, तो आप सोने की सिक्के, सोने की ईंटों या आभूषणों में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप सिर्फ निवेश के उद्देश्य से सोने को खरीदने की सोच रहे हैं, तो सोने की ईंटें या सिक्के बेहतर विकल्प हो सकते हैं। यह निवेश पारंपरिक है और समय के साथ सोने की कीमत बढ़ने पर आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

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लेकिन फिजिकल गोल्ड का एक नकारात्मक पहलू यह है कि इसे सुरक्षित रखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आपको भंडारण की व्यवस्था करनी पड़ती है और इसके चोरी होने या क्षति का भी खतरा होता है। इसके अतिरिक्त, सोने को बेचने के समय लेन-देन के लिए आपको गोल्ड के शुद्धता की जांच भी करवानी पड़ती है, जो कई बार परेशानियों का कारण बन सकता है।

गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs): डिजिटल सोने में निवेश

सोने में निवेश का एक और बेहतर तरीका गोल्ड ईटीएफ (Exchange Traded Funds) है। गोल्ड ईटीएफ एक प्रकार का म्यूचुअल फंड होता है, जो खासतौर पर सोने में निवेश करता है। यह ईटीएफ शेयर बाजार में खरीदी और बेची जा सकती है। गोल्ड ईटीएफ पूरी तरह से सोने की कीमतों पर निर्भर होते हैं, यानी जब सोने की कीमत बढ़ती है तो गोल्ड ईटीएफ की कीमत भी बढ़ती है।

गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको किसी भी स्टॉक ब्रोकर या बैंक के माध्यम से खाता खोलने की आवश्यकता होती है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने पर 0.5 प्रतिशत या उससे कम का ब्रोकेज शुल्क लिया जाता है। गोल्ड ईटीएफ में एक इकाई 1 ग्राम सोने के बराबर होती है, और आप इसे जितना चाहे उतना खरीद सकते हैं।

गोल्ड ईटीएफ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें निवेश करना काफी सरल और सुरक्षित है, क्योंकि यह डिजिटल रूप में होता है और आपको भंडारण या सुरक्षा की चिंता नहीं करनी पड़ती। इसके अलावा, गोल्ड ईटीएफ के रिटर्न सोने के मूल्य के साथ ही फ्लuktuate होते हैं, जिससे आपको बाजार की गति के हिसाब से लाभ हो सकता है।

गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual Funds): एक और विकल्प

भारतीय निवेशकों के पास सोने में निवेश करने का एक और विकल्प गोल्ड म्यूचुअल फंड्स है। गोल्ड म्यूचुअल फंड्स खुले हुए फंड्स होते हैं, जो गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। जैसे अन्य म्यूचुअल फंड्स होते हैं, वैसे ही गोल्ड म्यूचुअल फंड्स भी NAV (Net Asset Value) के आधार पर काम करते हैं। गोल्ड म्यूचुअल फंड्स निवेशकों को सोने के निवेश का लाभ देने का एक और तरीका प्रदान करते हैं।

गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की खासियत यह है कि इनकी मदद से निवेशक सोने में निवेश करने के साथ-साथ एक अच्छी विविधता हासिल कर सकते हैं। इन फंड्स के माध्यम से छोटे निवेशकों को भी सोने में निवेश करने का मौका मिलता है, क्योंकि एक यूनिट गोल्ड म्यूचुअल फंड की कीमत छोटे निवेश के हिसाब से होती है।

गोल्ड म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से निवेशक को मार्केट रिस्क का सामना तो करना पड़ता है, लेकिन यह भी एक ऐसा तरीका है जिससे आप लंबी अवधि में सोने के मूल्य में वृद्धि का लाभ उठा सकते हैं।यदि आपने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना में निवेश नहीं किया है, तो आपके पास सोने में निवेश करने के कई बेहतरीन विकल्प हैं। फिजिकल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स ये सभी विकल्प हैं जो आपको सोने के मूल्य में वृद्धि का लाभ दिलाने में मदद कर सकते हैं। इन विकल्पों के माध्यम से आप सोने में निवेश करने के पारंपरिक तरीके के साथ-साथ एक बेहतर और सुरक्षित निवेश भी कर सकते हैं।

सोने में निवेश हमेशा एक अच्छा विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह मुद्रास्फीति से बचाव करने और लंबी अवधि में मूल्य वृद्धि की संभावना रखने वाला निवेश होता है। इसलिए, अपने निवेश के उद्देश्य और जोखिम क्षमता को ध्यान में रखते हुए, इन विकल्पों में से कोई भी चुन सकते हैं।

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