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95th anniversary of Dandi March: प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं ने महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि, दांडी मार्च का क्या था ऐतिहासिक प्रभाव?

95th anniversary of Dandi March: आज देशभर में ऐतिहासिक Dandi March की 95वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने महात्मा गांधी और इस आंदोलन में शामिल सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि दांडी मार्च भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम हिस्सा था, और महात्मा गांधी के नेतृत्व में इसने देशभर में आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस बारे में लिखा कि दांडी मार्च में शामिल सभी लोगों का साहस, बलिदान और सत्य और अहिंसा के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

महात्मा गांधी की भूमिका और दांडी मार्च का महत्व

दांडी मार्च, जिसे ‘नमक सत्याग्रह’ भी कहा जाता है, 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। यह मार्च साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडी गांव तक चला था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर के खिलाफ विरोध करना था, जो भारतीय किसानों के लिए एक अत्याचार था। गांधी जी का मानना था कि एक सामान्य और आवश्यक वस्तु जैसे नमक पर कर लगाना भारतीयों की स्वतंत्रता पर हमला था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस ऐतिहासिक आंदोलन ने भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के लिए एकजुट किया और महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष शुरू किया। यह आंदोलन न केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ था, बल्कि यह भारतीय समाज में जागरूकता फैलाने का भी एक माध्यम बना।

95th anniversary of Dandi March: प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं ने महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि, दांडी मार्च का क्या था ऐतिहासिक प्रभाव?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी दांडी मार्च की 95वीं वर्षगांठ पर महात्मा गांधी और सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 95 साल पहले महात्मा गांधी ने दांडी मार्च की शुरुआत की थी, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिला दिया था। बापू के सिद्धांत और सत्याग्रह आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 1930 में थे। खड़गे ने यह भी कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य हमेशा लोगों के अधिकारों की रक्षा करना रहा है और यह आंदोलन इसकी साक्षात मिसाल है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की श्रद्धांजलि

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी दांडी मार्च की 95वीं वर्षगांठ पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 1930 में आज के दिन महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर के खिलाफ विरोध जताने के लिए दांडी मार्च शुरू किया था। यह एक साहसिक कदम था, जिसने हजारों लोगों को प्रेरित किया और यह कदम ब्रिटिश शासकों के खिलाफ सबसे मजबूत विरोध के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी का बयान

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी दांडी मार्च को ऐतिहासिक बताया और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में सम्मानित किया। जोशी ने कहा कि इस दिन हम महात्मा गांधी के ब्रिटिश शासन के खिलाफ fearless stand को सम्मानित करते हैं, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और आत्मनिर्भरता की लड़ाई को और मजबूत किया।

दांडी मार्च और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

दांडी मार्च महात्मा गांधी द्वारा किए गए कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में से एक था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया दिशा दी। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की नीतियों और उनके द्वारा लागू किए गए असमान करों के खिलाफ था, जो भारतीय किसानों और आम जनता के लिए भारी पड़ रहे थे। गांधी जी ने इसे अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए शुरू किया, और इस आंदोलन ने न केवल देशभर में लोगों को एकजुट किया, बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक मजबूत विरोध भी प्रस्तुत किया।

गांधी जी का यह आंदोलन अन्य आंदोलनों से अलग था क्योंकि यह न केवल राजनीतिक विरोध था, बल्कि यह भारतीय समाज को जागरूक करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का एक कदम था। इस आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों ने न केवल नमक कर के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए भी संघर्ष किया।

दांडी मार्च का वैश्विक प्रभाव

दांडी मार्च का प्रभाव न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में महसूस किया गया। इसने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय संघर्ष को एक वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। इस आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसा और सत्याग्रह के रास्ते पर चलकर स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं। यह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

दांडी मार्च की 95वीं वर्षगांठ पर महात्मा गांधी और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर हमें यह याद दिलाता है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव में कई बलिदान और संघर्ष शामिल थे। महात्मा गांधी का नेतृत्व और उनका सत्याग्रह का सिद्धांत हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। दांडी मार्च ने न केवल भारतीयों को स्वतंत्रता की दिशा में एकजुट किया, बल्कि यह अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों को भी वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।

आज, जब हम इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम महात्मा गांधी के सिद्धांतों और उनके द्वारा शुरू किए गए संघर्षों को अपने जीवन में अपनाएं और अपने देश को आगे बढ़ाने में योगदान दें।

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