Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती जारी, लेकिन तेल आयात में इजाफा बना चिंता का कारण

Rupee vs Dollar: इन दिनों भारतीय रुपये की डॉलर के मुकाबले मजबूत स्थिति बनी हुई है। इस सप्ताह के 6 दिनों में रुपया लगातार मजबूती दर्ज कर रहा है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 36 पैसे मजबूत होकर करीब 86 रुपये पर बंद हुआ। वहीं, गुरुवार को भी रुपये ने डॉलर के मुकाबले बढ़त बनाई थी।
जनवरी 2024 से अब तक डॉलर इंडेक्स में भी गिरावट देखने को मिली है। साल की शुरुआत में डॉलर इंडेक्स 110 के स्तर पर था, जो अब 5-6% तक कमजोर हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर का कमजोर होना अमेरिका के लिए भी फायदेमंद है। इससे अमेरिकी व्यापार घाटा, जो पिछले 4 वर्षों से एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक है, उसे कम करने में मदद मिलेगी।
डॉलर पर रुपये की बढ़त:
रुपये की मजबूती का मुख्य कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और विदेशी निवेश में वृद्धि है। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लिए गए कुछ मजबूत निर्णय भी रुपये को सपोर्ट दे रहे हैं।
- इस हफ्ते रुपये का प्रदर्शन:
- सोमवार: 87.3 रुपये प्रति डॉलर
- मंगलवार: 87.1 रुपये प्रति डॉलर
- बुधवार: 86.8 रुपये प्रति डॉलर
- गुरुवार: 86.4 रुपये प्रति डॉलर
- शुक्रवार: 86.0 रुपये प्रति डॉलर
इस तरह, पूरे हफ्ते रुपये में 1.5% की मजबूती दर्ज की गई है।
तेल आयात का बढ़ता बोझ:
हालांकि रुपये की मजबूती राहत की खबर है, लेकिन कच्चे तेल के आयात में लगातार हो रही वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है। भारत की ऊर्जा जरूरतें तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे कच्चे तेल का आयात भी बढ़ता जा रहा है।
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 11 महीनों में भारत की तेल आयात पर निर्भरता 88.2% हो गई है। इसका मतलब है कि देश को अपनी जरूरत का करीब 88% तेल आयात करना पड़ रहा है।
- वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-फरवरी) में यह निर्भरता 87.7% थी।
- इस साल मार्च तक यह आंकड़ा 89% तक पहुंचने का अनुमान है, जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर हो सकता है।
कच्चे तेल की खपत में वृद्धि:
तेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत ने कुल 219.9 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया है।
- पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 213.4 मिलियन टन था।
- यानी सालाना आधार पर तेल आयात में 3% की वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत की ऊर्जा खपत में वृद्धि:
भारत तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था है, इसलिए ऊर्जा की खपत भी बढ़ रही है। हालांकि सरकार वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों (सौर और पवन ऊर्जा) को बढ़ावा दे रही है, फिर भी देश की तेल आयात पर निर्भरता कम नहीं हो रही है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का कुल तेल आयात बिल करीब 150 अरब डॉलर था।
- अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में यह 160 अरब डॉलर को पार कर सकता है।
डॉलर में गिरावट से भारत को फायदा:
डॉलर की कमजोरी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
- आयात बिल में कमी आ रही है।
- विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय बाजार में बढ़ा है।
- कच्चे तेल का आयात थोड़ा सस्ता हुआ है।
हालांकि, बढ़ते तेल आयात के कारण व्यापार घाटा (Trade Deficit) में वृद्धि की आशंका बनी हुई है।
रुपये की मजबूती का असर:
- ईंधन की कीमतों पर राहत: डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी।
- विदेश यात्रा सस्ती: रुपये की मजबूती से विदेश यात्रा करने वालों को फायदा होगा, क्योंकि विदेशी करेंसी सस्ती होगी।
- विदेशी निवेशकों का रुझान: रुपये की मजबूती से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में अधिक निवेश कर सकते हैं।
तेल आयात में वृद्धि के कारण:
- ऊर्जा मांग में वृद्धि: भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर बढ़ रही है, जिससे तेल की खपत भी बढ़ रही है।
- घरेलू उत्पादन की कमी: भारत में कच्चे तेल का उत्पादन सीमित है, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ जाती है।
- वैश्विक कीमतों का असर: वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में हल्की वृद्धि से आयात लागत बढ़ रही है।
क्या होना चाहिए सरकार का रुख?
- स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि: भारत को तेल उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर जोर देना होगा।
- वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा: सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर निर्भरता बढ़ानी होगी।
- आयात लागत में कमी: भारत को तेल निर्यातक देशों से दीर्घकालिक अनुबंध करने चाहिए, ताकि तेल की कीमतें स्थिर रहें।
डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहत भरी खबर है। हालांकि, तेल आयात में वृद्धि चिंता का विषय है। भारत को कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना होगा। रुपये की मजबूती का लाभ उठाने के लिए सरकार को व्यापार घाटा कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।