
Income Tax Refund: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यदि करदाता ने समय पर इनकम टैक्स भर दिया है, लेकिन रिफंड समय पर प्रोसेस नहीं हो रहा है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। अधिकांश मामलों में रिफंड में देरी का मुख्य कारण आधार कार्ड और पैन कार्ड की जानकारी का मेल न खाना होता है। आयकर रिटर्न फाइल करते समय पैन और आधार का लिंक होना अनिवार्य है। अगर इसमें किसी तरह की त्रुटि रहती है, तो रिफंड आने में देरी होना स्वाभाविक है।
बैंक डिटेल्स में गलती
रिफंड में देरी का एक बड़ा कारण बैंक अकाउंट डिटेल्स में गलतियाँ होती हैं। अक्सर करदाता रिटर्न फाइल करते समय बैंक अकाउंट नंबर या IFSC कोड गलत भर देते हैं। ऐसे में रिफंड सीधे आपके खाते में क्रेडिट नहीं हो पाता। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आपकी बैंक डिटेल्स सही, अपडेटेड और सक्रिय हों। गलत बैंक जानकारी होने पर आयकर विभाग रिफंड रोक सकता है और नोटिस भी जारी कर सकता है।
करदाता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रिटर्न फाइल करने से पहले सभी बैंक डिटेल्स सही और बैंक अकाउंट चालू हो। अगर खाता बंद हो या IFSC गलत हो, तो रिफंड ट्रांसफर असफल हो जाएगा।
अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग
कभी-कभी टैक्स डिपार्टमेंट रिफंड प्रोसेसिंग के दौरान करदाता से अतिरिक्त दस्तावेज मांग सकता है। उदाहरण के लिए, रिफंड क्लेम करते समय आय, कटौती या निवेश प्रमाणपत्र की पुष्टि की आवश्यकता हो सकती है। यदि आप समय पर ये डॉक्यूमेंट्स जमा नहीं करते हैं, तो रिफंड की प्रोसेसिंग रुक जाती है।
गलत जानकारी देने पर भी विभाग करदाता से स्पष्टीकरण मांग सकता है और नोटिस जारी कर सकता है। इसलिए हमेशा सही और सत्य जानकारी देना जरूरी है ताकि रिफंड प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।

फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 में अंतर
कभी-कभी फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 की जानकारी और आपके रिटर्न में दी गई जानकारी में अंतर पाया जाता है। ऐसा होने पर रिफंड प्रोसेसिंग रोक दी जाती है। उदाहरण के लिए, सैलरी के विवरण, टीडीएस कटौती या अन्य स्रोतों से हुई आय में अंतर हो सकता है।
इस स्थिति में करदाता को विभाग को स्पष्टीकरण देना पड़ता है। विभाग सत्यापन के बाद ही रिफंड जारी करता है। इसलिए रिटर्न भरते समय फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 की जानकारी का मिलान करना जरूरी है ताकि रिफंड तुरंत प्रोसेस हो सके।
रिफंड प्रोसेसिंग में समय
आयकर विभाग की ओर से रिफंड प्रोसेसिंग तब शुरू होती है जब करदाता ई-वैरिफाई कर देता है। आमतौर पर करदाता के बैंक अकाउंट में रिफंड आने में 4 से 5 हफ्ते का समय लगता है।
अगर इस अवधि के बाद भी रिफंड नहीं आता है, तो करदाता को अपने ITR की संभावित कमियों की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा, आयकर विभाग की तरफ से मेल या नोटिफिकेशन पर ध्यान देना जरूरी है। नोटिस में रिफंड रोकने या विलंब की वजह बताई जा सकती है।
रिफंड जल्दी प्राप्त करने के उपाय
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पैन और आधार लिंक करें: रिटर्न फाइल करने से पहले पैन और आधार को अपडेट और लिंक करना जरूरी है।
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बैंक डिटेल्स सही भरें: बैंक अकाउंट नंबर, IFSC और खाते की स्थिति की पुष्टि करें।
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सभी डॉक्यूमेंट जमा करें: अगर विभाग ने अतिरिक्त दस्तावेज मांगे हैं, तो समय पर जमा करें।
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फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 मिलान करें: रिटर्न भरने से पहले इन दोनों फॉर्म की जानकारी का मिलान करना लाभकारी है।
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ई-वैरिफिकेशन समय पर करें: ITR फाइल करने के बाद वैरिफिकेशन जरूर करें।
इनकम टैक्स रिफंड समय पर न आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। मुख्य कारण पैन और आधार का लिंक न होना, बैंक डिटेल्स में त्रुटि, अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग या फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 में अंतर हैं। करदाता अगर सही जानकारी और दस्तावेज प्रदान करें, तो रिफंड जल्दी प्राप्त किया जा सकता है। समय पर रिफंड मिलने के लिए सावधानी और सही प्रक्रिया अपनाना अत्यंत आवश्यक है।