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General Upendra Dwivedi बोले- पाकिस्तानी कहेंगे जीते हैं, तभी तो उनका कमांडर फील्ड मार्शल बना

थल सेना प्रमुख General Upendra Dwivedi ने आईआईटी मद्रास में संबोधन के दौरान ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े कई राज खोले। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन एक शतरंज के खेल जैसा था, जिसमें हमें यह पता नहीं होता था कि दुश्मन का अगला कदम क्या होगा और हमें उसके कदम पर कैसी प्रतिक्रिया देनी है। कुछ मोर्चों पर हम उन्हें ‘चेकमेट’ कर रहे थे, तो कुछ जगहों पर अपनी जान जोखिम में डालकर कार्रवाई करनी पड़ रही थी। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान उन्हें राजनीतिक नेतृत्व की ओर से पूरी तरह खुला हाथ मिला था, जिससे सेना को अपनी रणनीति के अनुसार कदम उठाने में आसानी हुई।

‘Enough is Enough’ – पहलगाम हमले के बाद बदला माहौल

जनरल द्विवेदी ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हमला हुआ, जिसने पूरे देश को हिला दिया। इस घटना के बाद देशभर में गुस्सा और दुख का माहौल था। 23 अप्रैल को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई, जिसमें पहली बार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त लहजे में कहा, “Enough is Enough” यानी अब बहुत हो गया। यह संकेत था कि अब निर्णायक कदम उठाने का समय आ गया है। तीनों सेना प्रमुख पहले से ही तैयार थे और पूरी तरह एकमत थे कि अब ठोस कार्रवाई जरूरी है। इस घटना के बाद सेना और राजनीतिक नेतृत्व के बीच तालमेल और भी मजबूत हो गया, जिससे ऑपरेशन की गति तेज हुई।

राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका और सेना की योजना

सेना प्रमुख ने बताया कि राजनीतिक नेतृत्व ने उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए – “आप तय करें कि क्या करना है।” यह आत्मविश्वास, राजनीतिक दिशा और स्पष्टता सेना के लिए पहली बार इस स्तर पर महसूस हुई। इससे सैनिकों का मनोबल बढ़ा और उन्हें जमीनी स्थिति के अनुसार काम करने की आज़ादी मिली। 25 अप्रैल को सेना ने नॉर्दर्न कमांड का दौरा किया, जहां उन्होंने बैठकर योजना बनाई और तय किया कि 9 लक्ष्यों में से 7 को तुरंत निशाना बनाया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर में इन सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया और बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया किया गया। इस सफलता ने न केवल सेना का हौसला बढ़ाया, बल्कि दुश्मन को भी गहरा संदेश दिया।

नाम का महत्व और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

जनरल द्विवेदी ने बताया कि 29 अप्रैल को उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की। पहले इस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंधु’ रखा जाना था, लेकिन बाद में इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। उनका मानना है कि यह छोटा सा नाम पूरे देश को जोड़ने वाला और प्रेरणादायक साबित हुआ। यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि देशवासियों के गर्व और एकजुटता का प्रतीक बन गया। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा – अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछेंगे कि जीत-हार क्या रही, तो वह कहेगा कि मेरा कमांडर फील्ड मार्शल बन गया है, तो ज़रूर हम जीते होंगे। लेकिन असलियत यह है कि इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान की नींद हराम कर दी और भारत की सैन्य क्षमता को नए स्तर पर साबित किया।

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