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WI vs AUS 1st Test: ब्रिजटाउन में ट्रैविस हेड का विवादित जीवनदान, थर्ड अंपायर के फैसले से मच गया क्रिकेट हलचल

WI vs AUS 1st Test: ब्रिजटाउन में खेले जा रहे वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के पहले टेस्ट मैच के पहले दिन वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। कंगारू टीम पहली पारी में केवल 180 रन पर सिमट गई। शमर जोसेफ और जेडन सील्स की जोड़ी ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को खुलकर खेलने नहीं दिया। खास बात यह रही कि वेस्टइंडीज की टीम भी जवाब में 57/4 पर सिमटी रही।

ट्रैविस हेड के विकेट पर मचा बवाल

इस मुकाबले में सबसे बड़ा विवाद ट्रैविस हेड के विकेट को लेकर हुआ। हेड उस वक्त 53 रन बनाकर खेल रहे थे, जब शमर जोसेफ की एक गेंद ने उनके बल्ले का किनारा लिया और सीधे विकेटकीपर शाई होप के दस्तानों में चली गई। हालांकि, फील्ड अंपायर नितिन मेनन ने अपील को तीसरे अंपायर के पास भेज दिया, क्योंकि होप खुद इस पर निश्चित नहीं थे कि कैच साफ था या नहीं।

थर्ड अंपायर के फैसले पर उठे सवाल

तीसरे अंपायर एड्रियन होल्डस्टॉक ने टीवी रीप्ले में देखा कि गेंद बल्ले से टकराई थी। हालांकि, जब कैच के क्लिप को जूम करके देखा गया, तब संदेह उत्पन्न हुआ कि क्या होप के दस्ताने गेंद के नीचे पूरी तरह थे या नहीं। इस संदेह की वजह से अंपायर ने ‘क्लियर एविडेंस’ न होने का हवाला देते हुए हेड को नॉट आउट करार दिया। इस फैसले ने फैंस और पूर्व क्रिकेटरों के बीच बहस छेड़ दी।

हेड को मिला जीवनदान रहा बेअसर

हालांकि, ट्रैविस हेड इस विवादित जीवनदान का कोई खास फायदा नहीं उठा सके। वह कुछ ही समय बाद सिर्फ 6 रन और जोड़ सके और 59 के स्कोर पर जस्टिन ग्रेव्स का शिकार बन गए। लेकिन तब तक मैच का रुख और अंपायरों की भूमिका पर सवाल उठने शुरू हो चुके थे। सोशल मीडिया पर भी इस फैसले की जमकर आलोचना हुई।

क्या बदलेगा अंपायरिंग का तरीका?

यह घटना एक बार फिर क्रिकेट में थर्ड अंपायर की भूमिका और तकनीक के भरोसे को लेकर सवाल खड़े करती है। क्या सिर्फ तकनीकी सीमाओं की वजह से इतने बड़े फैसले यूं छोड़े जा सकते हैं? क्रिकेट जगत अब एक बार फिर अंपायरिंग नियमों और ‘क्लियर एविडेंस’ की परिभाषा पर मंथन करता दिख सकता है।

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