चार धर्मों से जुड़ा है परिवार, अब Vikrant Massey ने बेटे के लिए चुना एक रास्ता, किया बड़ा खुलासा

Vikrant Massey ने छोटे पर्दे से अपने करियर की शुरुआत की थी लेकिन धीरे-धीरे वह फिल्मों के बड़े चेहरे बन गए। चाहे कोई छोटा रोल हो या बड़ा किरदार हो वह हर बार अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीत लेते हैं। वह ज्यादा लाइमलाइट में नहीं रहते और अपनी निजी जिंदगी को लेकर हमेशा शांत रहते हैं। लेकिन हाल ही में वह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं और इस बार वजह कोई फिल्म नहीं बल्कि उनके बेटे के नाम से जुड़ा एक फैसला है।
बेटे की पहचान में नहीं जोड़ा कोई धर्म
विक्रांत मैसी ने अभिनेत्री शीतल ठाकुर से शादी की थी और अब वे एक बेटे के माता-पिता बन चुके हैं जिसका नाम उन्होंने ‘वरदान’ रखा है। विक्रांत ने रिया चक्रवर्ती के पॉडकास्ट पर बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने अपने बेटे के जन्म प्रमाण पत्र में धर्म वाला कॉलम खाली छोड़ दिया है। उनका मानना है कि धर्म जीवन जीने का तरीका है कोई पहचान नहीं और हर इंसान को यह अधिकार होना चाहिए कि वह बड़ा होकर खुद तय करे कि वह किस आस्था को अपनाना चाहता है।
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‘अगर मेरा बेटा भेदभाव करेगा तो मैं असफल पिता बनूंगा’
विक्रांत ने अपने विचारों को पूरी ईमानदारी से सामने रखते हुए कहा कि वह अपने बेटे को किसी भी तरह के लेबल या पूर्वाग्रह के बिना बड़ा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनका बेटा किसी दूसरे इंसान के साथ जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव करता है तो वह खुद को एक असफल पिता मानेंगे। विक्रांत अपने बेटे को इंसानियत, सहनशीलता और करुणा की सीख दे रहे हैं जो उनके अनुसार असली मूल्य हैं।
विविध धर्मों से भरे परिवार से मिली सोच की गहराई
विक्रांत मैसी का परिवार खुद एक मिसाल है धार्मिक विविधता की। उनके पिता ईसाई हैं, मां सिख हैं, बड़े भाई ने इस्लाम अपनाया है और पत्नी हिंदू हैं। ऐसे में विक्रांत ने यह समझा है कि असल में शांति और आस्था किसी एक धर्म में नहीं बल्कि सभी में है। उन्होंने कहा कि वह मंदिर जाते हैं, गुरुद्वारे में माथा टेकते हैं और दरगाह पर भी सजदा करते हैं क्योंकि उन्हें हर जगह एक जैसी शांति मिलती है।
सोच में बदलाव की शुरुआत बने विक्रांत
आज के समय में जब धर्म और पहचान को लेकर समाज में गहरी बहस चल रही है ऐसे वक्त में एक पब्लिक फिगर का इस तरह खुलकर बोलना न केवल साहसिक है बल्कि प्रेरणादायक भी है। सोशल मीडिया पर विक्रांत के इस फैसले की खूब तारीफ हो रही है। कई यूज़र्स ने लिखा कि यही असल सोच है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए बदलाव का रास्ता बना सकती है। विक्रांत का यह फैसला दिखाता है कि असली बदलाव केवल बातें करने से नहीं बल्कि छोटे-छोटे साहसिक फैसलों से आता है।