Tejas Fighter Jet: HAL का मास्टरस्ट्रोक! इंजन सप्लाई लेट होने के बाद भी तेजस जेट वायुसेना तक पहुँचेंगे

Tejas Fighter Jet: अमेरिका से विमान इंजनों की सप्लाई में देरी के बावजूद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारतीय वायुसेना को दो एडवांस्ड लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस मार्क-1ए सौंपने जा रहा है। अमेरिका से इस वित्तीय वर्ष (2025-26) में कुल 12 इंजन मिलने थे, लेकिन अब तक केवल दो ही इंजन सप्लाई हुए हैं। इसी वजह से परियोजना में लगातार विलंब हो रहा है। इस पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने असंतोष जताया है। जानकारी के अनुसार, सितंबर माह में तेजस का फायरिंग टेस्ट होगा, जिसमें स्वदेशी अस्त्र मिसाइल और शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद ही दो विमान वायुसेना को सौंपे जाएंगे।
अतिरिक्त 97 स्वदेशी लड़ाकू विमान खरीद को मिली मंजूरी
भले ही इंजन सप्लाई की समस्या बनी हुई है, लेकिन सरकार ने वायुसेना को मजबूती देने के लिए अतिरिक्त 97 स्वदेशी लड़ाकू विमानों की खरीद को हरी झंडी दे दी है। इससे पहले वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने HAL के साथ 83 एलसीए मार्क-1ए विमान खरीदने का 48 हजार करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। इन विमानों के लिए अमेरिका की जीई कंपनी से 99 एफ-404 इंजन लेने पर समझौता हुआ था। अगर इंजन समय पर मिलते हैं तो HAL का दावा है कि मार्च 2026 तक कुल 10 विमान वायुसेना को सौंपे जा सकते हैं।

अमेरिका ने सप्लाई चेन का हवाला दिया, लेकिन असल वजह और गहरी
पिछले डेढ़ साल से इंजन की आपूर्ति बेहद धीमी रही है। अमेरिका ने इसका कारण ग्लोबल सप्लाई चेन में व्यवधान बताया है। हालांकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के विवाद और हालिया टैरिफ वॉर (ऑपरेशन सिंदूर) की वजह से अमेरिका ने जानबूझकर सप्लाई धीमी कर दी है। इस देरी का असर सीधा-सीधा HAL के उत्पादन और वायुसेना की ताकत बढ़ाने की गति पर पड़ रहा है।
पीएमओ के प्रमुख सचिव ने की HAL की परियोजना की समीक्षा
HAL लगातार इस परियोजना को समय पर पूरा करने का प्रयास कर रहा है। कंपनी का कहना है कि यदि इंजन की सप्लाई सुचारू हो जाए तो डिलीवरी की गति तेज हो सकती है। हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के प्रमुख सचिव पी.के. मिश्रा ने बेंगलुरु स्थित HAL की सुविधा का दौरा कर परियोजना की समीक्षा की। इससे यह साफ है कि केंद्र सरकार भी इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर है और जल्द से जल्द स्वदेशी तेजस विमानों को वायुसेना में शामिल करने की कोशिश कर रही है। यह कदम न केवल भारत की रक्षा क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि स्वदेशी विमानन उद्योग की ताकत भी साबित करेगा।
