Stock Market News: स्टॉक मार्केट में भयंकर सेलिंग, FPI ने निकाले 1.4 बिलियन डॉलर, क्या अब टूटेगा निवेशकों का भरोसा?

Stock Market News: सितंबर के पहले हफ्ते में भारतीय शेयर बाज़ार में भारी बिकवाली देखी गई। इस दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने घरेलू शेयर बाज़ार से कुल 12,257 करोड़ रुपये (लगभग 1.4 अरब डॉलर) निकाल लिए। विदेशी निवेशक इस समय अपने निवेश बेच रहे हैं, जिसके पीछे अमेरिकी डॉलर की मजबूती, अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक टैरिफ तनाव और वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरता जैसी स्थितियाँ मुख्य कारण मानी जा रही हैं। पिछले महीने यानी अगस्त में FPIs ने शेयरों से 34,990 करोड़ रुपये निकाले थे, जबकि जुलाई में यह संख्या 17,700 करोड़ रुपये रही। 2025 की शुरुआत से अब तक, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाज़ार से कुल 1.43 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है।
विदेशी निवेशकों के बाहर जाने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार विदेशी निवेशकों की निकासी के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारण हैं। एंजेल वन के वरिष्ठ फंडामेंटल एनालिस्ट वक़ार जावेद खान का कहना है कि आने वाले हफ्तों में FPI निवेश अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की टिप्पणियों, अमेरिकी श्रम बाजार के आंकड़ों, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों और रुपये की स्थिरता पर उनकी नीतियों पर निर्भर करेगा। वहीं, मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट्स के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि हालांकि निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है, भारत की विकास कहानी, GST जैसी नीति सुधार और कंपनियों की आय में सुधार की उम्मीदें विदेशी निवेशकों को वैश्विक अनिश्चितताओं के कम होने पर भारतीय बाजार की ओर वापस खींच सकती हैं।
विशेषज्ञों की राय
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि हाल की निकासी में वैश्विक और घरेलू कारकों का मिश्रण जिम्मेदार है। जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी.के. विजयकुमार के अनुसार, घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर खरीदारी FPIs को उच्च मूल्यांकन पर अपने पैसे निकालने और सस्ते विदेशी बाजारों जैसे चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया में निवेश करने का अवसर दे रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह निकासी केवल एक अस्थायी प्रभाव हो सकती है, और बाजार की दीर्घकालिक वृद्धि की कहानी निवेशकों को फिर से आकर्षित कर सकती है।
निवेश और बॉन्ड से निकासी का विवरण
डिपॉज़िटरी डेटा के अनुसार, समीक्षा अवधि के दौरान FPIs ने डेब्ट या बॉन्ड में सामान्य सीमा के तहत कुल 1,978 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि वॉलंटरी रिटेंशन रूट के माध्यम से 993 करोड़ रुपये की निकासी की गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि विदेशी निवेशक केवल शेयरों से ही पैसा निकाल रहे हैं, जबकि अन्य वित्तीय साधनों में निवेश जारी है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि निकासी का यह दौर वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा और जैसे ही अनिश्चितताएँ कम होंगी, FPIs भारतीय शेयर बाजार में पुनः निवेश करेंगे।