Sarabjit Kaur Pakistan: पाकिस्तान में निकाह, वायरल निकाहनामा… आखिर सच क्या है सरबजीत उर्फ़ नूर की कहानी?

Sarabjit Kaur Pakistan: पंजाब की सरबजीत कौर का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में हलचल मचा दी है। गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के अवसर पर पाकिस्तान गईं सरबजीत कौर अब वीडियो में खुद को “नूर” बताकर यह दावा कर रही हैं कि उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया है और एक पाकिस्तानी युवक नासिर हुसैन से निकाह कर लिया है। वीडियो में सरबजीत कहती हैं कि वह नासिर को नौ साल से जानती हैं और अपनी मर्जी से शादी कर रही हैं। इसके बाद यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान में रहने के दौरान महिला ने धर्म परिवर्तन किया और शादी भी कर ली।
52 वर्षीय सरबजीत कौर तलाकशुदा हैं और उनके दो बेटे हैं। एक दिन पहले ही उनका निकाहनामा भी वायरल हुआ था, जिसमें उनका नया नाम “नूर” दर्ज है। यह पूरा मामला भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा रहा है, क्योंकि इसे केवल लापरवाही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला भी माना जा रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाकिस्तान रिश्तों में खिंचाव
हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पहले ही तनावपूर्ण हैं। इसी तनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने शुरुआत में सिख जत्थे को पाकिस्तान जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। हालांकि धार्मिक संगठनों के दबाव के बाद सरकार ने यात्रा की मंजूरी दी।
अब सरबजीत कौर के पाकिस्तान में रह जाने और वहां शादी करने की खबर सामने आने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) खुद को इस मामले से दूर करती दिख रही है। SGPC का कहना है कि उनका काम केवल तीर्थयात्रियों की सूची सरकार को भेजना है, जबकि पृष्ठभूमि की जांच सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी है।
Indian punjabi girl Sarabjit Kaur accepting Islam and getting married to a Pakistani .. look at the Pakistani , his looks is worse than Kanglu but not sure what did this beautiful punjabi girl saw in him .. pic.twitter.com/F6ZyhisZFB
— Rajaneesh (@raj98392424) November 16, 2025
SGPC का बयान: “सुरक्षा जांच सरकार की जिम्मेदारी”
SGPC ने साफ कहा है कि जत्थे में कौन जा रहा है, इसका अंतिम निर्णय और सुरक्षा जांच सरकारी एजेंसियों के जिम्मे होती है। 4 नवंबर को अटारी-वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान गया यही जत्था SGPC के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानि कुलदीप सिंह गडगज की अगुवाई में गया था।
कांग्रेस या किसी अन्य राजनैतिक संगठन से दबाव के दावे को SGPC ने आधारहीन बताया है। SGPC का कहना है कि तीर्थयात्रा धार्मिक परंपरा है और हर साल इसी प्रक्रिया के तहत जत्थे भेजे जाते हैं। लेकिन सरबजीत कौर के मामले ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—खासकर तब जब हालात पहले से ही संवेदनशील हैं।
SGPC सचिव प्रताप सिंह बोले: “जांच कड़ी होती, तो रोका जा सकता था”
SGPC के सचिव प्रताप सिंह ने इस घटना को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उनका कहना है कि सरबजीत का नाम केंद्र सरकार की ओर से मिली आधिकारिक सूची में था ही नहीं, और SGPC ने उसी सूची के आधार पर यात्रा को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि यदि महिला पहले से किसी पाकिस्तानी युवक के संपर्क में थी या उसकी मंशा संदिग्ध थी, तो सुरक्षा एजेंसियों को इसकी जानकारी होनी चाहिए थी।
प्रताप सिंह का यह भी कहना है कि यात्री जांच को और कड़ा किए जाने की जरूरत है ताकि कोई भी व्यक्ति समूह यात्राओं का फायदा उठाकर भविष्य में इस तरह की हरकत न कर सके। इस घटना ने भारत-पाकिस्तान यात्रा प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था के तरीके पर नए सिरे से बहस खड़ी कर दी है।
