राजस्थान के लाल Jagdeep Dhankhar का इस्तीफा, क्या सच में स्वास्थ्य कारण या राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला?

देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। महज 10 दिन पहले ही उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के एक कार्यक्रम में कहा था कि वह “सही समय पर, अगस्त 2027 में रिटायर होंगे, अगर ईश्वर ने चाहा।” लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतनी जल्दी अपने पद से हट जाएंगे। उनके इस कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और उनके समर्थकों में भी निराशा का माहौल है। इस्तीफे की वजह जानने के लिए हर कोई उत्सुक था और जैसे ही इसकी वजह सामने आई, सभी हैरान रह गए।
स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए दिया इस्तीफा
धनखड़ ने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य कारणों को बताया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखते हुए कहा, “स्वास्थ्य और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (A) के तहत तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।”
धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति मुर्मू को धन्यवाद दिया और उनके साथ अपने अच्छे संबंधों की प्रशंसा की। उन्होंने लिखा, “माननीय राष्ट्रपति जी के निरंतर समर्थन और हमारे बेहतरीन कार्य संबंधों के लिए मैं गहराई से आभारी हूं।” इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा। उन्होंने यह भी कहा कि “मैंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा। सांसदों का स्नेह, विश्वास और प्रेम हमेशा मेरे दिल में रहेगा।”
राजस्थान से जुड़ी हैं धनखड़ की जड़ें
जगदीप धनखड़ का जीवन एक साधारण किसान परिवार से शुरू होकर देश के उपराष्ट्रपति बनने तक का प्रेरक सफर रहा। उनका जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गांव में ही प्राप्त की, इसके बाद सैंटिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में उनका दाखिला हुआ। धनखड़ NDA में चयनित भी हुए थे, लेकिन वे वहां नहीं गए।
उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर LLB की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद जयपुर में रहते हुए वकालत शुरू की। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने कानूनी क्षेत्र में एक मजबूत पहचान बनाई। 70 वर्षीय धनखड़ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था। इसके साथ ही वे झुंझुनू से 1989 से 1991 तक लोकसभा सांसद भी रहे और वीपी सिंह तथा चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री का दायित्व भी निभाया।
उनके इस्तीफे से उपराष्ट्रपति पद पर बना असमंजस
धनखड़ के इस्तीफे से देश में उपराष्ट्रपति पद को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस पद से इस्तीफा देने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और कब तक यह पद खाली रहेगा। धनखड़ ने जिस सादगी और कर्तव्यनिष्ठा से अपने पद का दायित्व निभाया, उसकी सराहना संसद और देशभर में की जाती रही है।
उनकी कार्यशैली में स्पष्टता और अनुशासन देखने को मिला, जिससे उन्होंने कई बार संवैधानिक मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट रूप से रखी। उनका यह अचानक लिया गया निर्णय राजनीति और प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर यह कदम उठाया है, लेकिन उनके अचानक इस्तीफे ने उनके चाहने वालों को दुखी कर दिया है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि राष्ट्रपति भवन और केंद्र सरकार उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति को किस प्रकार पूरा करेंगे।