Northeast Politics: कॉनराड संगमा और प्रद्योत माणिक्य का बड़ा दांव! नॉर्थईस्ट में नई पार्टी का ऐलान

Northeast Politics: पूर्वोत्तर भारत की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मंगलवार को मेघालय के मुख्यमंत्री और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के प्रमुख कॉन्क्राड संगमा, त्रिपुरा की टिपरा मोथा पार्टी के नेता प्रद्योत माणिक्य और पूर्व भाजपा प्रवक्ता एम. किकॉन ने एक नई राजनीतिक इकाई (Political Entity) के गठन की घोषणा की। यह कदम पूर्वोत्तर राज्यों के हितों को एकजुट करने की दिशा में एक बड़ा राजनीतिक प्रयास माना जा रहा है। गौरतलब है कि एनपीपी और टिपरा मोथा दोनों ही वर्तमान में पूर्वोत्तर में भाजपा की सहयोगी पार्टियाँ हैं, लेकिन अब ये दल एक स्वतंत्र क्षेत्रीय पहचान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
पूर्वोत्तर के लिए साझा मंच तैयार करने का फैसला
मीडिया से बातचीत करते हुए कॉन्क्राड संगमा ने कहा, “हमने यह निर्णय लिया है कि पूर्वोत्तर के लिए एक अलग राजनीतिक मंच तैयार किया जाए। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है जो अगले 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। हमारा उद्देश्य किसी पार्टी से लड़ना नहीं है, बल्कि पूर्वोत्तर के लोगों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना है।” संगमा ने कहा कि यह पहल पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों के बीच एकता और विकास की भावना को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि यह प्लेटफ़ॉर्म उन मुद्दों पर केंद्रित रहेगा जो लंबे समय से नजरअंदाज किए जा रहे हैं, जैसे — रोजगार, शिक्षा, बुनियादी ढाँचा, और क्षेत्रीय पहचान की सुरक्षा।

स्थानीय लोगों के भूमि अधिकारों की रक्षा होगी प्राथमिकता
मेघालय के मुख्यमंत्री संगमा ने बताया कि नवगठित समिति को अन्य क्षेत्रीय दलों से संपर्क स्थापित करने की पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है, ताकि सभी को इस नए राजनीतिक प्रयास से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि इस नई इकाई का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी लोगों के भूमि अधिकारों की रक्षा करना होगा। संगमा ने यह भी स्पष्ट किया कि सही समय आने पर यह सभी दल एक साथ विलय होकर एक एकल राजनीतिक संगठन के रूप में काम करेंगे। यह कदम पूर्वोत्तर के लोगों को उनके अधिकारों और संसाधनों पर अधिक नियंत्रण दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
“हम झगड़ा नहीं, अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने आए हैं” — प्रद्योत माणिक्य
टिपरा मोथा के नेता प्रद्योत माणिक्य ने कहा, “हम यहाँ किसी से झगड़ने नहीं आए हैं, बल्कि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने आए हैं। हमारे विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारा उद्देश्य एक है — पूर्वोत्तर के लोगों की भलाई।” उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरह के प्रयास किए गए थे कि पूर्वोत्तर के सभी क्षेत्रीय दल एक मंच पर आएँ, लेकिन इस बार यह कोशिश ज्यादा ठोस और सार्थक होगी। माणिक्य ने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि पूर्वोत्तर के लोग अपनी राजनीतिक ताकत खुद तय करें और दिल्ली पर निर्भर न रहें। इस पहल से न केवल क्षेत्र की आवाज राष्ट्रीय राजनीति में और बुलंद होगी, बल्कि क्षेत्रीय अस्मिता को भी एक नई पहचान मिलेगी।
