ITR Filing 2025: डेडलाइन बढ़ी, टैक्सपेयर्स को राहत… लेकिन लेट फाइलिंग पर रिफंड मिलेगा या नहीं?

ITR Filing 2025: सरकार ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की अंतिम तारीख 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी है। यह फैसला उन लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है जो अंतिम समय में तकनीकी दिक्कतों या अन्य कारणों से रिटर्न भरने से चूक गए थे। वित्त मंत्रालय का कहना है कि करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने में आई कठिनाइयों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। अब जो लोग अभी तक टैक्स नहीं भर पाए थे, वे बिना किसी जुर्माने और ब्याज के 16 सितंबर तक अपनी ITR जमा कर सकते हैं। हालांकि, इस तारीख के बाद देर से दाखिल किया गया रिटर्न पेनल्टी और ब्याज के साथ ही स्वीकार होगा।
देर से ITR भरने पर कितना जुर्माना लगेगा?
अगर कोई करदाता निर्धारित समय सीमा के भीतर ITR दाखिल नहीं करता, तो वह लेट रिटर्न फाइल कर सकता है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए देर से रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 तय की गई है। लेकिन इसके साथ जुर्माना भरना अनिवार्य होगा। आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत जिनकी कुल आय 5 लाख रुपये तक है और वे लेट रिटर्न फाइल करते हैं, उन्हें 1,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं, जिनकी आय 5 लाख रुपये से अधिक है, उनके लिए जुर्माना 5,000 रुपये तक लगाया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी पर टैक्स बकाया है, तो उसे धारा 234A के तहत बकाया राशि पर प्रति माह 1 प्रतिशत साधारण ब्याज भी देना होगा।
रिफंड के नियम और समय पर असर
लेट ITR का सबसे बड़ा नुकसान रिफंड से जुड़ा होता है। जो करदाता समय पर रिटर्न दाखिल करते हैं, उन्हें जल्दी रिफंड प्राप्त हो जाता है। जबकि देर से फाइल करने वालों को रिफंड मिलने में काफी समय लग सकता है। इसका मतलब यह है कि यदि आप रिफंड के हकदार हैं, तो देर से फाइल करने पर आपको यह तो मिलेगा, लेकिन इसमें अनावश्यक देरी होगी। इसलिए वित्तीय लाभ जल्दी पाने के लिए समय पर ITR दाखिल करना हमेशा बेहतर रहता है।
लेट ITR भरने के अन्य नुकसान
रिटर्न देर से भरने पर करदाता को केवल जुर्माना और ब्याज ही नहीं देना पड़ता, बल्कि कुछ अन्य सुविधाओं से भी हाथ धोना पड़ सकता है। समयसीमा बीतने के बाद कई कटौती और छूट का लाभ नहीं लिया जा सकता। साथ ही, करदाता पुराने और नए टैक्स रिजीम के बीच स्विच करने का विकल्प भी खो देता है। यही वजह है कि टैक्स विशेषज्ञ हमेशा सलाह देते हैं कि ITR समय पर ही दाखिल की जाए। समय पर फाइलिंग से न केवल अनावश्यक जुर्माने और ब्याज से बचा जा सकता है, बल्कि रिफंड और अन्य टैक्स बेनिफिट भी समय पर मिल जाते हैं।