Investor protection India: SEBI अधिकारी का खुलासा—IPO में अब आएंगे नए सेफगार्ड, खुदरा निवेशकों को मिलेगा ज़्यादा संरक्षण

Investor protection India: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वर्श्नेय ने शुक्रवार को कहा कि आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (IPO) के मूल्यांकन में कोई नियामक कमी नहीं है, लेकिन खुदरा निवेशकों के हितों की बेहतर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि “मूल्यांकन से जुड़े नियम और पारदर्शिता को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि खुदरा निवेशक किसी भी प्रकार की असमानता से प्रभावित न हों।”
वर्श्नेय मुंबई में आयोजित “गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस” सम्मेलन के 10वें संस्करण में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बाजार नियामक द्वारा पूंजी बाजार के प्रस्तावों से दूरी बनाना एक सही कदम है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि कंपनियों का मूल्यांकन निष्पक्ष, प्रभावी और पारदर्शी हो।
“वैल्यूएशन की सटीकता पर विचार ज़रूरी”
वर्श्नेय ने अपने बयान में कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि नियामक व्यवस्था में कोई कमी है, लेकिन यह देखना जरूरी है कि जो मूल्यांकन किए जा रहे हैं, वे सही हैं या नहीं। हाल के वर्षों में कई IPO ऐसे आए हैं जिनमें खुदरा निवेशकों ने कंपनियों के वैल्यूएशन पर सवाल उठाए हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि SEBI का उद्देश्य बाजार में संतुलन और पारदर्शिता बनाए रखना है, न कि मूल्य निर्धारण में दखल देना। इससे पहले SEBI अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को स्पष्ट किया था कि “IPO के मूल्य निर्धारण में SEBI की कोई भूमिका नहीं होगी। हम यह तय नहीं करते कि किसी कंपनी का वैल्यूएशन कितना होना चाहिए — यह निवेशकों और बाजार की ताकतों पर निर्भर करता है।”
हालिया IPOs पर उठे सवाल
हाल ही में लेंसकार्ट के ₹7,200 करोड़ के IPO को लेकर मूल्य निर्धारण पर सवाल उठे हैं। इससे पहले नायका और पेटीएम जैसे प्रमुख IPOs में भी निवेशकों और विश्लेषकों ने ऊँचे वैल्यूएशन को लेकर चिंताएँ जताई थीं। इस संदर्भ में वर्श्नेय ने कहा कि “अब हमारा मानना है कि जब बड़े निवेशक कंपनियों का मूल्यांकन कर रहे हों, तो SEBI को उससे दूरी बनाए रखनी चाहिए, ताकि बाजार की स्वतंत्रता बनी रहे।”
उन्होंने आगे कहा कि यह भी देखा गया है कि कई बार कंपनियों के प्रमोटर शेयरधारक अपने हित में वैल्यूएशन को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। इससे अल्पसंख्यक शेयरधारकों (minority shareholders) के हितों को नुकसान पहुँचता है। उन्होंने इसे एक नियामक चुनौती बताया और कहा कि भविष्य में SEBI को इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने होंगे।
निवेशकों के हितों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
वर्श्नेय ने कहा कि SEBI की प्राथमिकता हमेशा निवेशकों — विशेष रूप से खुदरा निवेशकों — के हितों की सुरक्षा रही है। उन्होंने जोर दिया कि निवेशकों को IPO में निवेश करने से पहले कंपनी के मूलभूत मूल्य, उसकी कमाई की संभावना और बाजार स्थिति का मूल्यांकन स्वयं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “पूंजी बाजार तभी स्वस्थ रह सकता है जब सभी पक्ष — कंपनियाँ, निवेशक और नियामक — अपनी जिम्मेदारियाँ ईमानदारी से निभाएँ।”
SEBI आने वाले समय में IPO पारदर्शिता से जुड़ी नीतियों को और मजबूत करने पर विचार कर रहा है। वर्श्नेय ने कहा कि नियामक संस्थाओं की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में निष्पक्षता बनी रहे और किसी भी निवेशक — खासकर छोटे निवेशक — के साथ अन्याय न हो।
