Govardhan Asrani: गुजरे बॉलीवुड के लीजेंड असरानी, 350 फिल्मों के स्टार ने अपनी सफलता का रहस्य खुद बताया

Govardhan Asrani: हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध हास्य और चरित्र अभिनेता गोवर्धन असरानी का सोमवार, 20 अक्टूबर को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे। असरानी को उनके ‘शोले’ के जेलर के किरदार के लिए हमेशा याद किया जाएगा, जिसने दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के सांताक्रूज़ श्मशान घाट में किया गया, जहां परिवार और फिल्म जगत के कई लोग उपस्थित थे। अपने पांच दशकों से अधिक लंबे करियर में उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। असरानी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से अभिनय की शिक्षा प्राप्त की और वहीं से उन्होंने अपने अभिनय कौशल को निखारा, जिसके बाद वे 1960 के दशक के मध्य में हिंदी सिनेमा में कदम रखने में सफल हुए।
मुंबई आए थे अभिनय का सपना लेकर, पर संघर्ष रहा लंबा
असरानी ने अपने शुरुआती दिनों की याद में बताया कि वे मुंबई अपने अभिनय के सपने के साथ आए थे, लेकिन शुरुआती सफर आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि FTII की डिग्री होने के बावजूद उन्हें दो साल तक कोई काम नहीं मिला। वे उस समय संगीतकार नौशाद से मिलने का प्रयास करते रहे, यह उम्मीद जताते हुए कि शायद उन्हें किसी फिल्म में मौका मिले, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। निराश होकर वे जयपुर लौट आए, जहां उनके माता-पिता ने उन्हें दुकान संभालने की सलाह दी। लेकिन असरानी ने हार नहीं मानी और FTII में दाखिला लिया, जहां वे संस्थान के पहले बैच का हिस्सा बने।

इंदिरा गांधी ने बदली किस्मत, ‘गुड्डी’ से मिली पहचान
असरानी ने एक इंटरव्यू में यह भी बताया कि FTII का सर्टिफिकेट बॉलीवुड में कोई मूल्य नहीं रखता था। उन्होंने कहा, “मैं सर्टिफिकेट लेकर इधर-उधर भटकता था, लेकिन लोग कहते थे कि एक्टिंग के लिए सर्टिफिकेट की क्या जरूरत? बड़े सितारे तो यहां प्रशिक्षण नहीं लेते, और तुम सोचते हो कि तुम खास हो? निकलो यहां से।” इस दौरान उन्होंने FTII में प्रोफेसर के रूप में नौकरी करके जीवन यापन किया।
इसी संघर्ष के समय, इंदिरा गांधी, जो उस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्री थीं, पुणे FTII आईं। असरानी और उनके साथियों ने उनसे शिकायत की कि फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें कोई अवसर नहीं दे रहा। इंदिरा गांधी ने इसके बाद मुंबई आकर प्रोड्यूसर्स को निर्देश दिया कि FTII के प्रशिक्षित कलाकारों को काम दिया जाए। इसके चलते असरानी को जया भादुरी के साथ फिल्म ‘गुड्डी’ में काम करने का मौका मिला। फिल्म हिट हुई और इस सफलता के बाद FTII के विद्यार्थियों की काबिलियत को बॉलीवुड ने मान्यता दी।
बिना संतान के गुज़री ज़िंदगी, छोड़ गए पीछे परिवार
असरानी का निजी जीवन सादगी और प्रेम से भरा रहा। वे अपनी पत्नी मंजू असरानी, बहन और भांजे के बेहद करीब थे। यह दंपत्ति संतानहीन था, लेकिन उनका परिवार और करीबी मित्र उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे। असरानी ने ‘चुपके चुपके’, ‘आंधी’, ‘अभिमान’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, और ‘हेरा फेरी’ जैसी फिल्मों में भी अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनकी हास्य कला और संवाद अदायगी ने उन्हें हिंदी सिनेमा में हमेशा के लिए अमर बना दिया। उनके निधन से सिनेमा जगत ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया जिसने हंसाने और प्रेरित करने का काम किया।
