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Emraan Hashmi की फिल्म ‘Haq’ मचाएगी हलचल! Shah Bano केस पर आधारित कहानी में छिपा बड़ा सच

बॉलीवुड अभिनेता Emraan Hashmi की बहुप्रतीक्षित फिल्म “Haq” का टीज़र कल जारी कर दिया गया। यह फिल्म 1985 के ऐतिहासिक शाह बानो बेगम केस पर आधारित है, जिसने भारत में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और तीन तलाक के मुद्दे को राष्ट्रीय बहस का केंद्र बना दिया था। यह फिल्म 7 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। रिलीज़ से पहले ही यह फिल्म सुर्खियों में है। इमरान हाशमी ने पहले ही साफ कर दिया था कि इस फिल्म का उद्देश्य किसी भी समुदाय या धर्म को बदनाम करना नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकार और सम्मान की बात करती है।

शाह बानो केस: एक महिला की न्याय की लड़ाई

फिल्म “Haq” की कहानी शाह बानो बेगम के जीवन से प्रेरित है, जिन्होंने अपने पति मोहम्मद अहमद खान द्वारा तलाक देने और गुज़ारा भत्ता रोक देने के बाद अदालत में न्याय की लड़ाई लड़ी थी। यह मामला पहले सेशन कोर्ट, फिर हाई कोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा। इमरान हाशमी ने बताया कि “शायद आज की युवा पीढ़ी इस केस के बारे में ज़्यादा नहीं जानती। शाह बानो ने कहा था कि ‘मैं मुस्लिम हूँ, पर सबसे पहले एक भारतीय महिला हूँ।’ उन्होंने यह भी कहा था कि मुझे केवल मुस्लिम पर्सनल लॉ नहीं, बल्कि संविधान के तहत न्याय मिलना चाहिए।”
यह केस उस समय पूरे देश में एक बड़ी बहस का कारण बना, जहाँ एक तरफ धार्मिक कानून था, तो दूसरी तरफ भारतीय संविधान की समानता और न्याय की भावना।

“हम किसी का निर्णय नहीं दे रहे हैं” – इमरान हाशमी

इमरान हाशमी ने फिल्म के बारे में कहा कि “इस फिल्म का उद्देश्य किसी पर उंगली उठाना या राय थोपना नहीं है। हमने सिर्फ कहानी को निष्पक्ष तरीके से दिखाने की कोशिश की है। जब दर्शक थिएटर से बाहर निकलेंगे, तो उन्हें लगेगा कि यह फिल्म महिलाओं की गरिमा और समान अधिकारों के पक्ष में है। लेकिन साथ ही वे यह भी समझ पाएँगे कि अहमद और अब्बास जैसे किरदार भी अपने हालात और परवरिश के हिसाब से सही थे। हमारा उद्देश्य किसी को जज करना नहीं, बल्कि एक सच्ची कहानी को इंसाफ और संवेदनशीलता के साथ पेश करना है।”

यामी गौतम निभाएँगी शाह बानो की भूमिका

फिल्म में इमरान हाशमी मोहम्मद अहमद खान का किरदार निभा रहे हैं, जबकि अभिनेत्री यामी गौतम शाह बानो बेगम की भूमिका में नज़र आएँगी। यह कहानी 1932 से शुरू होती है, जब दोनों का विवाह हुआ था। शाह बानो ने 1978 में, 62 वर्ष की उम्र में, गुज़ारा भत्ता के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि शाह बानो को दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार है। इस ऐतिहासिक फैसले ने भारतीय समाज और राजनीति दोनों में हलचल मचा दी थी।
फिल्म “हक” इसी भावनात्मक और कानूनी संघर्ष को पर्दे पर उतारती है। इमरान और यामी की यह जोड़ी न्याय, धर्म, और समानता के बीच संघर्ष की एक संवेदनशील कहानी पेश करने जा रही है, जो न केवल उस दौर की सच्चाई बताएगी बल्कि आज के समाज के लिए भी एक संदेश छोड़ जाएगी।

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