Dividend: कंपनी दे रही है तगड़ा डिविडेंड, सीधे खाते में आएगा पैसा, जानिए कैसे मिलेगा लाभ!

Dividend: हर कंपनी अपने व्यवसाय की स्थिति को बताने के लिए हर तीन महीने में अपने तिमाही नतीजे (Quarterly Results) जारी करती है। इसके तहत कंपनी यह बताती है कि पिछले तीन महीनों में उसे कितना मुनाफा हुआ, यह मुनाफा पिछले महीनों की तुलना में ज्यादा है या कम, और पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी ने कितना मुनाफा कमाया था। इस जानकारी से निवेशकों को कंपनी की वर्तमान स्थिति और उसके विकास की रफ्तार का अंदाजा लगता है। तिमाही नतीजों के बाद कंपनी जब अच्छा मुनाफा कमाती है, तो वह अपने मुनाफे का एक हिस्सा अपने शेयरधारकों को देना चाहती है, जिसे हम डिविडेंड कहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो, कंपनी द्वारा अपने मुनाफे का जो हिस्सा शेयरधारकों को बांटा जाता है, वही डिविडेंड होता है।
डिविडेंड कैसे बांटा जाता है?
अब सवाल आता है कि डिविडेंड कैसे बांटा जाता है? मान लीजिए कंपनी ने यह निर्णय लिया कि वह अपने शेयरधारकों को प्रति शेयर 10 रुपये की दर से डिविडेंड देगी। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति के पास उस कंपनी के 1000 शेयर हैं, तो उसे 10 रुपये x 1000 शेयर = 10,000 रुपये डिविडेंड के रूप में मिलेंगे। यह पैसा सीधे आपके बैंक खाते में भेज दिया जाता है। यह वही बैंक खाता होता है, जिसे आपने डिमैट खाता खोलते समय लिंक किया होता है। डिविडेंड का वितरण पूरी तरह से आपके पास मौजूद शेयरों की संख्या के अनुसार किया जाता है। इसका मतलब है कि आपके पास जितने ज्यादा शेयर होंगे, आपको उतना ज्यादा डिविडेंड मिलेगा।
साल में कितनी बार मिलता है डिविडेंड?
अब यह सवाल भी आता है कि साल में कितनी बार डिविडेंड दिया जाता है। दरअसल, यह पूरी तरह कंपनी पर निर्भर करता है कि वह साल में कितनी बार डिविडेंड देती है। सामान्य रूप से कंपनियां साल में एक या अधिक बार डिविडेंड देती हैं। कुछ कंपनियां साल में दो बार डिविडेंड देती हैं, तो कुछ कंपनियां अनियमित अंतराल पर डिविडेंड देती हैं। डिविडेंड का वितरण कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करता है। कंपनी अपने लाभ और नकदी की स्थिति को देखकर यह निर्णय लेती है कि वह कब और कितना डिविडेंड दे सकती है। इससे शेयरधारकों को उनके निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलता है और निवेशकों में कंपनी के प्रति विश्वास भी बना रहता है।
डिविडेंड पर टैक्स की जानकारी
अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि क्या डिविडेंड पर टैक्स देना पड़ता है। वर्ष 2020 से पहले डिविडेंड पर कंपनियों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) देना पड़ता था, लेकिन वर्ष 2020 के बाद से आयकर अधिनियम 1961 की धारा 194 के तहत डिविडेंड पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार, अब कंपनी द्वारा वितरित डिविडेंड पर टैक्स शेयरधारकों को देना होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि आप किसी कंपनी का डिविडेंड प्राप्त कर रहे हैं, तो वह आपकी आय में जुड़ जाएगा और आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार उस पर टैक्स देना होगा। अगर डिविडेंड की राशि 5,000 रुपये से अधिक होती है, तो कंपनी TDS (Tax Deducted at Source) काटकर डिविडेंड आपके खाते में भेजती है। इस तरह, डिविडेंड निवेशकों को नियमित आय के रूप में लाभ पहुंचाता है, लेकिन इस पर टैक्स दायित्व भी लागू होता है।