बिहार विधानसभा चुनाव पर भाजपा का चिदंबरम पर प्रहार, कहा- कांग्रेस ने जनता का अपमान किया

16 नवंबर 2025 को भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की खराब प्रदर्शन पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की आलोचना की। भाजपा प्रवक्ता शाहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कांग्रेस और चिदंबरम पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी असफलताओं पर विचार करने के बजाय जनता को दोष देने का प्रयास कर रही है। भाजपा ने इसे जनता के अपमान के रूप में देखा है।
शाहजाद पूनावाला ने कहा—‘दोषारोपण कांग्रेस की आदत’
शाहजाद पूनावाला ने अपने तीखे बयान में लिखा कि कांग्रेस बार-बार दोषारोपण करती है। उन्होंने कहा, “चुनाव हारने के बाद भी राहुल गांधी को दोष नहीं दिया जा रहा है बल्कि जनता को दोषी ठहराया जा रहा है। कांग्रेस ने बिहार के लोगों का अपमान किया है।” उन्होंने चिदंबरम की भारतीय एक्सप्रेस में लिखी गई टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि चिदंबरम जनता को ही दोषी ठहराते हैं और इस प्रकार खुद को जिम्मेदार नहीं मानते।

चिदंबरम के स्तम्भ की प्रमुख बातें
चिदंबरम ने अपने स्तम्भ “वोटिंग जिम्मेदारियों का अंत नहीं” में बिहार चुनावों के नतीजों का विश्लेषण किया था। उन्होंने लिखा कि जनता को परिणाम स्वीकार करना चाहिए, लेकिन राज्य में व्याप्त गहरे सामाजिक-आर्थिक संकटों पर भी ध्यान देना जरूरी है। चिदंबरम ने बताया कि बिहार के लोग लालू प्रसाद यादव के 15 सालों के शासन और नितीश कुमार के लंबे कार्यकाल को याद करते हैं, फिर भी चुनावों में बदलाव के लिए वोट नहीं दिया।
चिदंबरम ने उठाए बेरोजगारी और शिक्षा के मुद्दे
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, लाखों लोगों का रोजगार के लिए पलायन, बहुआयामी गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ता हालत, और शराबबंदी की विफलता जैसी गंभीर समस्याएं मौजूद हैं। इसके बावजूद जनता ने ऐसा वोट दिया जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है। चिदंबरम ने बिहार के मतदाताओं से अपील की है कि वे छापरन आंदोलन की भावना को फिर से जागृत करें और कमजोर शिक्षा तंत्र, धोखाधड़ी, और रोजगार की कमी को स्वीकार न करें।
राजनीतिक समीकरण और भविष्य की चुनौतियां
चिदंबरम के इस लेख के बाद भाजपा ने कांग्रेस और उनके नेताओं को जमकर आड़े हाथों लिया। भाजपा का मानना है कि कांग्रेस की यह सोच कि चुनावों में हार के लिए जनता दोषी है, राजनीतिक समझदारी की कमी को दर्शाती है। बिहार में सामाजिक और आर्थिक सुधारों की जरूरत के बीच अब राजनीतिक दलों के लिए यह चुनौती है कि वे जनता की अपेक्षाओं को पूरा करें। आगामी समय में बिहार की राजनीति में बदलाव और विकास की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
