Bihar Elections से पहले आरजेडी में भूचाल, तेजस्वी ने एक झटके में 27 नेताओं को किया बाहर!

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD ने बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में 27 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें मौजूदा और पूर्व विधायक दोनों शामिल हैं। पार्टी ने इन सभी को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह फैसला चुनाव से पहले पार्टी में बढ़ती नाराजगी और अंदरूनी कलह को रोकने के लिए लिया गया बताया जा रहा है।
कौन-कौन हुए बाहर
जिन नेताओं को पार्टी से निकाला गया है उनमें पारसा के विधायक छोटेलाल राय, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल, गोविंदपुर के विधायक मोहम्मद कमरान और पूर्व विधायक राम प्रकाश महतो जैसे नाम शामिल हैं। इनके अलावा अखिलेश लाल यादव, राम सखा महतो, अवनीश कुमार, मुकेश यादव, संजय राय और कई अन्य नेताओं को भी निष्कासित किया गया है। पार्टी ने साफ कहा कि ये सभी नेता विरोधी उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे थे और पार्टी अनुशासन का उल्लंघन कर रहे थे।

रितु जायसवाल और मोहम्मद कमरान का विद्रोह
रितु जायसवाल इस बार पारिहर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। इसी सीट से पार्टी ने स्मिता पुर्वे को टिकट दिया है जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पुर्वे की बहू हैं। रितु ने खुलकर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयान दिए और आरोप लगाया कि टिकट वितरण में पक्षपात हुआ है। वहीं मोहम्मद कमरान जो गोविंदपुर से मौजूदा विधायक हैं उन्होंने भी RJD उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक दी है।
तेज प्रताप यादव की रिश्तेदार पर भी एक्शन की गूंज
तेज प्रताप यादव की भाभी डॉ. करिश्मा राय पारसा सीट से RJD उम्मीदवार हैं। इस सीट के मौजूदा विधायक छोटेलाल राय अब जेडीयू में शामिल हो गए हैं। RJD ने उन्हें तुरंत पार्टी से निष्कासित कर दिया। करिश्मा राय पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती हैं और उनके परिवार का इस सीट पर लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है। उनके पिता चंद्रिका राय ने भी इस सीट से छह बार जीत दर्ज की है।
टिकट बंटवारे से बढ़ी नाराजगी
RJD ने इस बार 243 में से 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन पार्टी ने 40 प्रतिशत से ज्यादा मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया। यही वजह है कि असंतोष की लहर फैल गई है। कई पुराने नेता या तो निर्दलीय मैदान में हैं या दूसरे दलों में शामिल हो गए हैं। चुनाव से पहले यह कदम पार्टी की एकता और छवि दोनों के लिए बड़ा इम्तिहान साबित हो सकता है।
